मेरक (लद्दाख) । धरती पर एक बड़ा सौर तूफान वाला है। अमेरिकी वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि यह बड़ा सौर तूफान पृथ्वी से टकराने वाला है। इससे इलेक्ट्रॉनिक संचार प्रभावित हो सकता है। बता दें कि सौर तूफान, कणों, ऊर्जा, चुंबकीय क्षेत्रों और सामग्री का अचानक विस्फोट है जो सूर्य के कारण सौर मंडल में विस्फोट होता है।
दूरसंचार और उपग्रहों पर पड़ेगा असर
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, आने वाला सौर तूफान दूरसंचार और उपग्रहों को बाधित कर सकता है। भारतीय वैज्ञानिक इस पर नजर बनाए हुए हैं।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के वैज्ञानिकों का कहना है कि उन्होंने भारतीय उपग्रह ऑपरेटरों को सभी एहतियात बरतने के लिए कहा है। अगले कुछ दिन पृथ्वी के लिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि तूफान नीले ग्रह की ओर बढ़ रहा है।
क्या है सौर तूफान
सूर्य की सतह पर बड़े पैमाने के विस्फोट होते हैं, जिसके दौरान कुछ हिस्से बेहद चमकीले प्रकाश के साथ असीम ऊर्जा छोड़ते हैं, जिसे सन फ्लेयर कहा जाता है।
सूर्य की सतह पर होने वाले इस विस्फोट से उसकी सतह से बड़ी मात्रा में चुंबकीय ऊर्जा निकलती है, जिससे सूरज के कोरोना या सूर्य की बाहरी सतह का कुछ हिस्सा खुल जाता है। इससे ऊर्जा बाहर की ओर निकलती है, जो आग की लपटों की तरह दिखाई देती है।
ये असीम ऊर्जा लगातार कई दिनों तक निकलती रहे तो इससे अति सूक्ष्म न्यूक्लियर पार्टिकल भी निकलते है। यह कण पूरी ऊर्जा के साथ ब्रह्मांड में फैल जाते हैं, जिसे सौर तूफान कहा जाता है। इस ऊर्जा में जबरदस्त न्यूक्लियर रेडिएशन होता है, जो इसे सबसे ज्यादा खतरनाक बनाता है।
क्या बोले वैज्ञानिक?
भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान की डायरेक्टर डॉ. सुब्रमण्यन ने कहा, ‘कुछ दिन पहले सौर ज्वाला भड़की थी। वह मई में हुई घटना के बराबर ही शक्तिशाली है। इसलिए हम मैग्नेटोस्फीयर में किसी तरह के हस्तक्षेप की उम्मीद करेंगे। फिलहाल इस तूफान को लेकर पड़ताल जारी है।’
क्या-क्या हो सकता है प्रभावित?
सौर तूफान पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र में एक बड़ी गड़बड़ी पैदा कर सकता है, जिसे भू-चुंबकीय तूफान कहा जाता है। रेडियो ब्लैकआउट, बिजली कटौती जैसे प्रभाव पैदा कर सकता है। हालांकि, वे पृथ्वी पर किसी को सीधे नुकसान नहीं पहुंचाते हैं, क्योंकि ग्रह का चुंबकीय क्षेत्र और वातावरण हमें इन सबसे बुरे तूफानों से बचाते हैं।