बेंगलुरु। AI इंजीनियर अतुल सुभाष अत्महत्या मामले में पत्नी निकिता सिंघानिया और उनके परिवार को भले ही कोर्ट ने जमानत दे दी है लेकिन उनके खिलाफ दर्ज FIR रद्द नहीं होगी। कर्नाटक हाईकोर्ट ने निकिता सिंघानिया की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें FIR रद्द करने की मांग की गई थी।
कर्नाटक हाईकोर्ट की एकल पीठ ने सुनवाई के दौरान टिप्पणी की और कहा कि FIR में आत्महत्या के लिए उकसाने के तहत मामला दर्ज करने के लिए सभी सबूत मौजूद हैं।
दूसरी तरफ अतुल सुभाष के पिता ने निकिता सिंघानिया व उसके मां और भाई को जमानत देने के लोअर कोर्ट के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती देने का निर्णय किया है।
जांच क्यों नहीं करवाना चाहते…
कर्नाटक हाईकोर्ट की एकल बेंच ने निकिता सिंघानिया से पूछा कि पीठ और क्या जांच सकती है? शिकायत में अपराध के प्रथम दृष्टया तत्व पाए गए हैं। आप जांच क्यों नहीं करवाना चाहतीं?
निकिता सिंघानिया के वकील ने अदालत को बताया कि आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में FIR दर्ज करने के लिए शिकायत में कोई तथ्य नहीं बनाया गया है।
यह भी कहा गया कि अतुल सुभाष ने अपनी पत्नी और परिवार के सदस्यों की ओर से किए गए किसी भी ऐसे काम का जिक्र नहीं किया है, जिसके कारण उन्हें आत्महत्या करनी पड़ी। इससे पहले बेंगलुरु की निचली अदालत ने 4 जनवरी को अतुल सुभाष से अलग रह रही पत्नी निकिता और ससुराल वालों को जमानत दे दी थी।
अब तक कब क्या हुआ?
अतुल सुभाष और निकिता सिंघानिया की शादी 2019 में हुई थी। साल 2020 में उनका एक बेटा हुआ था। अतुल सुभाष के सुसाइड करने के बाद 14 दिसंबर को निकिता सिंघानिया को गुरुग्राम से गिरफ्तार किया गया था, जबकि उनकी मां और भाई अनुराग को उप्र के प्रयागराज से अरेस्ट किया गया था।
गौरतलब है कि मूलरूप से बिहार के रहने वाले 34 साल के सुभाष अतुल अपनी पत्नी से अलग रह रहे थे। उसने अपनी पत्नी, रिश्तेदारों और उप्र के एक जज द्वारा उत्पीड़न और जबरन वसूली के प्रयासों का विवरण देते हुए एक वीडियो और 24 पन्नों का एक सुसाइड नोट छोड़ा था। इसमें पत्नी और उसके रिश्तेदारों पर झूठे मामलों के जरिए उत्पीड़न के आरोप लगाए थे।