रामपुर। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव आजम खां को डूंगरपुर प्रकरण में बुधवार को एमपी-एमएलए स्पेशल कोर्ट (सेशन ट्रायल) ने दोषी ठहराया है। सजा पर फैसला चार बजे आने की संभावना है। आजम खां सीतापुर जेल में हैं, जेल से ही वीडियो कांफ्रेंस से पेशी हुई।
सपा सरकार में 2016 में डूंगरपुर बस्ती में रह रहे लोगों के मकान तोड़कर आसरा आवास बनाए गए थे। वर्ष 2019 में बेघर 12 लोगों ने गंज कोतवाली में अलग-अलग प्राथमिकी दर्ज कराई ।
आरोप था कि सपा सरकार में आजम खां के इशारे पर पुलिस और सपाइयों ने उनके घरों को जबरन खाली कराया था। उनका सामान लूट लिया और मकानों पर ध्वस्त कर दिया था। इन मुकदमों में पहले आजम खां नामजद नहीं थे।
अन्य आरोपितों की गिरफ्तारी और उनके बयानों के आधार पर पुलिस ने उनको भी आरोपित बनाया था। इससे पूर्व आजम खां के खिलाफ आठ मुकदमों में फैसला आ चुका है। पांच में उन्हें सजा हुई है, जबकि तीन में बरी हो चुके हैं।
एक मामले में उनको सात साल की सजा हुई थी। जिसमें उन्हें हाई कोर्ट से जमानत मिल चुकी है। लेकिन, एक अन्य मामले में सजा होने के कारण उनकी रिहाई नहीं हो सकी है। आजम पर 84 मुकदमे अभी विचाराधीन हैं।
जान से मारने के लिए किया फायर
बुधवार को पत्रावली पर निर्णय आना है। सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता सीमा राणा के अनुसार फैसला लंच बाद आ सकता है। यह मुकदमा अबरार हुसैन की ओर से कराया गया था।
उनका कहना था कि छह दिसंबर 2016 को सुबह आठ बजे पूर्व सीओ सिटी आले हसन खां, दारोगा फिरोज खां, बरकत अली ठेकेदार, सीएंडडीएस के अभियंता परवेज आलम घर में घुस आए थे।
जान से मारने की नीयत से उनके ऊपर तमंचे से फायर किया गया। वह जान बचाकर भाग गए थे। इसके बाद उनके घर में जेवर नकदी आदि लूट ली गई। उनके घर को बुलडोजर चलाकर ध्वस्त कर दिया गया था।
इस मामले में दारोगा फिरोज खां और अभियंता परवेज आलम की पत्रावली अलग कर दी गई थी, जबकि पूर्व सीओ आले हसन खां के मामले में हाईकोर्ट से रोक लगी है। ऐसे में आजम खां और बरकत अली ठेकेदार की पत्रावली पर ही निर्णय आएगा।
इन दोनों को ही 18 मार्च को भी डूंगरपुर प्रकरण के एक मामले में सजा हो चुकी है। आजम खां को सात और बरकत अली ठेकेदार को पांच साल कैद की सजा हुई थी।