नई दिल्ली। पतंजलि ‘भ्रामक विज्ञापन केस’ में बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को सुप्रीम कोर्ट ने आज राहत दी है। कोर्ट ने इस मानहानि केस को बंद कर दिया है। पतंजलि के उत्पादों के बारे में भ्रामक विज्ञापन दिए जाने के मामले में बाबा रामदेव और पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड की माफी स्वीकार करने के बाद कोर्ट ने मानहानि केस बंद कर दिया है।
14 अगस्त को कोर्ट ने फैसले को रखा था सुरक्षित
योग गुरु बालकृष्ण और कंपनी का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील गौतम तालुकदार ने कहा, “अदालत ने रामदेव, बालकृष्ण और पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड द्वारा दिए गए वचनों के आधार पर अवमानना कार्यवाही बंद कर दी है। 14 मई को शीर्ष अदालत ने अवमानना नोटिस पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था।”
IMA ने दर्ज की थी शिकायत
शीर्ष अदालत इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही है, जिसमें कोविड टीकाकरण अभियान और चिकित्सा की आधुनिक प्रणालियों के खिलाफ एक बदनामी अभियान का आरोप लगाया गया है।
21 नवंबर, 2023 के आदेश में शीर्ष अदालत ने कहा था कि पतंजलि आयुर्वेद का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने कोर्ट को आश्वासन दिया था कि अब से किसी भी कानून का उल्लंघन नहीं होगा।
कानून का नहीं होगा उल्लंघन: पतंजलि
पतंजलि आयुर्वेद ने कोर्ट से कहा था कि निर्मित और विपणन किए गए उत्पादों के विज्ञापन या ब्रांडिंग से संबंधित किसी भी कानून का उल्लंघन नहीं किया जाएगा। कंपनी द्वारा विशिष्ट आश्वासन का पालन न करने और उसके बाद मीडिया में दिए गए बयानों से शीर्ष अदालत नाराज हो गई। इसके बाद कोर्ट ने कंपनी को कारण बताने के लिए नोटिस जारी किया कि क्यों न उनके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू की जाए।