शाहजहांपुर। हाथरस में भोले बाबा के सत्संग में मची भगदड़ में शाहजहांपुर जिले की तीन महिलाओं और दो बच्चों की मौत हुई है। हादसे में दो मासूमों को खोने वाले परिवार के लोग बदहवास हैं। रोते हुए बच्चों की बुआ शोभा ने कहा कि बाबा कहते हैं कि वह पूरे ब्रह्मांड के मालिक हैं… महानायक हैं,.. लोगों को हंसते-हंसते भेजते हैं। वे तो हंसते खेलते बच्चों को लेकर गए थे फिर क्यों ऐसा हुआ कि वे रोते-रोते आए। वह अब कहा है।
कांट के गांव भमौली निवासी आनंद ने बताया कि वह पिछले कई वर्षों से अपने तीन बच्चों और पत्नी दुर्गेश के साथ जयपुर में रहकर एक फैक्टरी में काम कर रहे हैं। कई रिश्तेदार भी वहीं रहते हैं। आनंद ने बताया कि वह बीमार थे। कई डॉक्टरों से इलाज और पंडितों से हवन-पूजन कराया, लेकिन उन्हें आराम नहीं मिला था।
उनकी बहन भोले बाबा की अनुयायी थीं। उसके कहने पर वह सत्संग में जाने लगे। उन्हें कुछ आराम मिला तो वह भी अनुयायी हो गए और सत्संग में जाने लगे। हाथरस में सत्संग में भी जाना था, लेकिन उन्हें छुट्टी नहीं मिली। उन्होंने पत्नी दुर्गेश, तीन साल की बेटी काव्या, नौ साल के बेटे आयुष और छह साल के बेटे आरुष को भेज दिया था। उनके साथ में बहन रमा भी थीं।
बहन शोभा गांव भमौली से सत्संग में पहुंची थी। भगदड़ मचने पर बेटी काव्या और बेटे आयुष की कुचलकर मौके पर ही मौत हो गई। फफकते हुए आनंद ने बताया कि बाबा भोले कहते थे कि चेहरे पर हंसी लाएंगे, लेकिन उनकी तो दुनिया ही उजड़ गई।
बच्चों के शव देखकर परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। पूरे गांव में मातम छाया हुआ है। दोपहर में बच्चों के शव गांव के बाहर से निकली गर्रा नदी के किनारे दफन कर दिए गए। एसडीएम सदर ज्ञानेंद्र नाथ और सीओ सदर बीएस वीरकुमार मौके पर पहुंचे और परिजनों को सांत्वना दी। हरसंभव मदद का आश्वासन दिया।
मेरे बच्चे आंखों के सामने खत्म हो गए…आयोजकों पर कार्रवाई हो
आनंद की बहन शोभा के आंसू नहीं थम रहे हैं। शोभा ने बताया कि भोले बाबा दोपहर बारह बजे आए। सत्संग अमूमन तीन या पांच बजे तक चलता है, लेकिन दोपहर एक बजे भोले बाबा आरती कराकर जाने लगे। मैदान के बाहर हाईवे पर गड्ढा था और उसमें पानी भरा हुआ था। आसपास बैरिकेडिंग लगी हुई थी। सड़क पर तीन लेन पर गाड़ियां खड़ी हुईं थीं। बाहर जाने के लिए ज्यादा जगह नहीं थी।
भगदड़ मची तो लोग बाहर नहीं निकल पाए। धक्का लगने से वह नाली में गिर गईं। कई लोग उनके ऊपर से निकल गए। वह लोगों के हाथ जोड़ती रहीं कि उनके बच्चों को निकाल दो, लेकिन किसी ने नहीं सुनी। दो-ढाई घंटे तक वे लोग फंसे रहे, जब बाहर निकलकर देखा तो दोनों बच्चों की मौत हो चुकी थी। हादसे के लिए कमेटी के साथ भोले बाबा भी जिम्मेदार हैं।
रोते हुए शोभा ने कहा कि बाबा कहते हैं कि वह कुल ब्रह्मांड के मालिक हैं…महानायक हैं…लोगों को हंसते-हंसते भेजते हैं। वे तो हंसते-खेलते बच्चों को लेकर गए थे, फिर क्यों ऐसा हुआ कि वे रोते-रोते आए…। जब इतनी बड़ी भीड़ को नहीं संभाल सकते थे तो क्यों जिम्मेदारी लेते हैं? हमारा तो सब उजड़ गया।
आरुष को गोद में उठा लिया तो बची जान
भगदड़ मचने के दौरान सब लोग इधर-उधर भागने लगे थे। शोभा और उनकी बेटी स्वाति भी बच्चों को निकालने का प्रयास करने लगीं। स्वाति ने आरुष को गोद में उठा लिया। शोभा नाली में गिरने के कारण काफी देर तक खुद उठ नहीं सकीं। आरुष को अगर स्वाति गोद में न उठा लेती तो वह भी भगदड़ का शिकार हो सकता था।
दस दिन बाद गांव आने वाला था परिवार
बच्चों की मौत से बाबा रामविलास और दादी सावित्री का रो-रोकर बुरा हाल है। आनंद अपने परिवार के साथ सालभर पहले गांव भमोली आया था। कुछ दिन पहले आनंद ने पिता रामनिवास को फोन किया था। रामनिवास ने उससे कहा था कि अभी धान की पौध तैयार नहीं हुई है।
इस पर आनंद ने पौध तैयार होने पर दस दिन बाद धान रोपाई के लिए गांव आने की बात कही थी। घटना से पहले आनंद ने मां सावित्री से भी बात की थी। हालचाल जाना और पत्नी व बच्चों के सत्संग में जाने की बात बताई थी। बताते हैं कि बाबा-दादी बच्चों के सत्संग में होने वाली भीड़भाड़ में जाने को लेकर राजी नहीं होते थे।