नई दिल्ली। बैंक अकाउंट आज के समय में बहुत जरूरी हो गया है। बैंक अकाउंट को सही से मैनेज करने के लिए प्राइवेट बैंक के साथ सरकारी बैंक भी कई तरह के चार्ज वसूलती है। बैंकिंग चार्ज की बात आती है तो सबसे पहला ध्यान मिनिमम बैलेंस मेंटन चार्ज पर जाता है। कई लोगों को यह लगता है कि मिनिमम बैलेंस मेंटेन चार्ज केवल प्राइवेट बैंक ही लेती है, लेकिन ऐसा नहीं है।
सरकारी बैंक भी मिनिमम बैलें मेंटेन न करने पर चार्ज लगाती है। भारतीय स्टेट बैंक भी पहले मिनिमम बैंलेंस मेंटन न करने पर चार्ज लगाती थी, लेकिन आलोचनाओं के बाद साल 2019-20 में बैंक ने मिनिमम बैलेंस मेंटेन नहीं रखने पर शुल्क वसूलना बंद कर दिया।
आपको जानकर हैरानी होगी कि पिछले 5 सालों में सरकारी बैंकों ने कई तरह के जुर्माने लगाकर 8500 करोड़ रुपये की कमाई की है। अभी भी देश के कुल 12 सरकारी बैंक अपने ग्राहकों से कई तरह के चार्ज वसूलते हैं।
टॉप-5 बैंक जो वसूलते हैं ज्यादा चार्ज
इस साल लोकसभा में वित्त मंत्रालय ने बैंक चार्ज से होने वाली कमाई को लेकर आंकड़े जारी किये थे। इन आंकड़ों के अनुसार पंजाब नेशनल बैंक (PNB), बैंक ऑफ बड़ौदा, इंडियन बैंक, केनरा बैंक और बैंक ऑफ इंडिया टॉप-5 सरकारी बैंक है जो ग्राहकों से ज्यादा चार्ज लेते हैं। इसके बाद यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, पंजाब एंड सिंध बैंक, यूको बैंक, बैंक ऑफ महाराष्ट्र, सेंट्रल बैंक के साथ बाकी 11 सरकारी बैंकों का नाम शामिल हैं।
कई बैंक तिमाही आधार पर मिनिमम बैलेंस मेंटेन न करने पर चार्ज लेते हैं। वहीं, कुछ बैंक मासिक आधार पर चार्ज लगाते हैं। सरकारी बैंक सेविंग अकाउंट पर मिनिमम बैलेंस मेंटेन न करने पर 100 रुपये से 250 रुपये तक का जुर्माना लगाते हैं। वहीं Current Account पर 400 से 600 रुपये तक का चार्ज लगाया जाता है।
कई तरह के लगते हैं चार्ज
सरकारी बैंक मिनिमम बैलेंस मेंटेन के साथ ग्राहकों से कई तरह के चार्ज लेती है।
बैंक लोन और अकाउंट ओपनिंग के समय डॉक्यूमेंटेशन चार्ज भी लेती है।
बैंक स्टेटमेंट निकालने के लिए भी चार्ज देना होता है।
अगर कोई पेमेंट में डिफॉल्ट होता है तब भी बैंक द्वारा चार्ज लगाया जाता है।
ओवरड्राफ्ट लिमिट से ज्यादा पैसा निकालने पर भी बैंक को चार्ज देना होता है।
लोन में अगर ग्राहक समय से लेंस शीट सबमिट नहीं करता है या फिर पेपर के रिन्यूअल करवाने में देरी होती है तब भी बैंक पेनल्टी लगाता है।