नई दिल्ली। बिभव कुमार की जमानत याचिका पर सुनवाई में हिस्सा लेने स्वाति मालीवाल दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट पहुंची। बिभव कुमार की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता हरिहरन ने पक्ष रखा। वहीं स्वाति मालीवाल ने भी अपना पक्ष रखा है।
हरिहरन ने कहा कि केस में जान-बूझकर धाराएं जोड़ी गई हैं, जबकि इसको लेकर कोई सबूत नहीं है। वहीं दिल्ली पुलिस ने जमानत का विरोध किया। कोर्ट ने मामले में सुनवाई खत्म होने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया है।
वरिष्ठ अधिवक्ता एन हरिहरन ने कहा कि यह जमानत याचिका विचार योग्य है। यह सही अदालत है जिसके पास जमानत याचिका पर सुनवाई का अधिकार क्षेत्र है। वरिष्ठ वकील ने दलील दी कि पीए बिभव कुमार सीएम आवास पर मौजूद नहीं थे, तब वह (स्वाति मालीवाल) सीएम आवास की ओर चली गईं।
पुलिस के पास कोई सबूत नहीं: बिभव के वकील
अधिवक्ता हरिहरन ने पीड़ित के आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि गैर इरादतन हत्या का अपराध बनाने के लिए पुलिस के पास कोई सामग्री नहीं है। उन्होंने कहा कि डीवीआर पुलिस ने जब्त कर लिया है, जो मेरी शिकायत में नहीं है।
इस बात का कोई सबूत नहीं है कि आरोपी ने CCTV में गड़बड़ी की। दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद कोर्ट ने विभव कुमार की जमानत पर फैसला सुरक्षित रख लिया है।
CM आवास में कोई इस तरह प्रवेश कर सकता है?
वरिष्ठ अधिवक्ता ने तर्क दिया कि उनके पास बैठक के लिए कोई अप्वाइंटमेंट नहीं था और उनके आने की कोई सूचना नहीं थी। वरिष्ठ अधिवक्ता हरिहरन ने कहा, “क्या कोई इस तरह से प्रवेश कर सकता है, यह सीएम का आधिकारिक आवास है। तब उन्हें (स्वाति मालीवाल) सुरक्षाकर्मियों ने रोका था। स्वाति ने कहा कि क्या वे एक सांसद को इंतजार कराएंगे?
बिभव को जमानत मिली तो जान पर खतरा
स्वाति मालीवाल भी कोर्ट में अपना बयान दे रही हैं। उन्होंने कहा कि मेरा बयान दर्ज करने के बाद आप नेताओं ने एक संवाददाता सम्मेलन आयोजित किया। मुझे बीजेपी का एजेंट कहा गया। उनके पास एक बड़ी ट्रोल मशीनरी है, उन्होंने मशीनरी को पंप किया है।
उन्होंने कहा कि इतना ही नहीं, आरोपी को पार्टी के नेता मुंबई ले गये। यदि इस आरोपी को जमानत पर रिहा किया गया तो मुझे और मेरे परिवार को खतरा होगा। मालीवाल ने कहा, वह (बिभव) कोई साधारण आदमी नहीं हैं। वह मंत्रियों द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली सुविधाओं का उपयोग करते हैं।
‘मेडिकल के लिए एम्स ही क्यों ले जाया गया?’
एन हरिहरन ने कहा, “कृपया उस स्थान को देखें, जहां कथित घटना हुई थी, जहां कई लोग मौजूद थे। उन्होंने कहा कि इस जगह पर ऐसी घटना कैसे हो सकती है। उन्होंने कहा कि घटना के तीन दिन बाद FIR क्यों दर्ज की गई, जबकि स्वाति खुद महिलाओं के खिलाफ अन्याय को लेकर मुखर रही हैं। इलाके में कई अस्पताल हैं, लेकिन उन्हें मेडिकल के लिए AIIMS ले जाया गया, क्यों?
‘भारतीय महिलाएं शिकायत दर्ज कराने से कतराती हैं’
अतिरिक्त लोक अभियोजक (APP) ने कहा कि वह (स्वाति मालीवाल) आरोपी को बदनाम करने की कोशिश नहीं कर रही थी। FIR में देरी के मुद्दे पर APP ने कहा कि शिकायतकर्ता ने पुलिस को पूरी घटना का खुलासा नहीं किया था। इसके बाद भी पुलिस अधिकारी ने घटनास्थल का दौरा किया। उन्होंने तर्क दिया कि भारतीय महिलाएं यौन उत्पीड़न की शिकायत दर्ज कराने से कतराती हैं।