भागलपुर। बिहार के भागलपुर जिले की गोराडीह थाना पुलिस का अमानवीय चेहरा सामने आया है। यहां की पुलिस ने सात मजदूरों को पूछताछ के लिए थाने पर बुला न सिर्फ बर्बर तरीके से पीटा बल्कि उन्हें नंगा कर प्राइवेट पार्ट में पेट्रोल भी डाल दिया। पीड़ितों में गोराडीह के धनेश्वर दास, अंबेडकर दास, फुलेश्वर दास, संजीत दास, कन्हैया दास, संतोष दास समेत सात मजदूर शामिल हैं।
इन सबों को 14 जून 2024 की रात हुई किसान सुमेश मंडल की गला रेत कर हत्या में शामिल अपराधियों का पता लगाने के लिए पूछताछ के लिए थाने लाया गया था। पीड़ित सात में से छह मजदूरों को ग्रामीणों ने जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कालेज अस्पताल में भर्ती कराया है। जहां उन्होंने पुलिस ज्यादती की पूरी कहानी सुनाई।
पीड़ितों ने क्या कहा?
पीड़ित मजदूर अंबेडकर दास और धनेश्वर दास ने बताया कि सुमेश मंडल की पत्नी और बेटे ने पुलिस को साफ-साफ बता दिया है कि हत्या में व्यापारी मंडल समेत अन्य लोगों की संलिप्तता है। पुलिस ने व्यापारी मंडल को गिरफ्तार कर जेल भी भेज चुकी है। ऐसे में अब हम ग्रामीण पुलिस को क्या जानकारी दे सकते हैं।
हमलोगों को हत्यारों के बारे में कुछ भी पता नहीं है। बावजूद इसके गोराडीह पुलिस सात लोगों को थाने ले गई और थर्ड डिग्री का इस्तेमाल किया। अमानवीय यातना के बाद छह मजदूरों को मुक्त कर दिया जबकि एक को अभी भी हिरासत में ही रखा गया है।
रोते-गिड़गिड़ाते रहे पर पुलिस ने एक न सुनी
पीड़ित मजदूरों ने बताया कि उनलोगों को गोराडीह गांव से जबरन थाने लाया गया। एक कमरे में बंद कर हाथ-पैर बांध कर बेरहमी से पैर के तलवे में लाठियां बरसाई गईं। इतने से भी उनका मन नहीं माना तो नंगा कर पिटाई करने लगे।
अंबेडकर दास ने बताया कि उनके प्राइवेट पार्ट में पेट्रोल डालकर तड़पाया गया। हमलोग रोते-गिड़गिड़ाते रहे लेकिन पुलिस वाले किसी की नहीं सुन रहे थे। पेट्रोल डालने के बाद बेल्ट से भी पिटाई की गई।
तीन-चार पुलिसकर्मियों पर यातना देने का आरोप
पीड़ितों ने गोराडीह थाने के तीन-चार पुलिस पदाधिकारियों पर अमानवीय यातना और पिटाई करने का आरोप लगाया है। हालांकि विधि-व्यवस्था डीएसपी चंद्रभूषण कुमार ने मजदूरों के आरोपों को पूरी तरह बेबुनियाद बताया है।
पूछे जाने पर कहा कि पुलिस टीम हत्याकांड मामले में पूछताछ के लिए सबों को लेकर आई थी। पूछताछ के क्रम में किसी तरह का अमानवीय कृत्य नहीं किया गया।
घटना के समय अवकाश पर रहीं थानाध्यक्ष शांता सुमन ने मंगलवार को बताया कि पूछताछ के लिए उन सात लोगों को लगाया गया था, तो किसान सुमेश मंडल के साथ हमेशा रहा करते थे। हत्या वाले दिन भी कई घंटे साथ रहे थे।
पूछताछ के दौरान किसी तरह की अमानवीय कृत्य नहीं किया गया। पेट्रोल डालने जैसी बात बिल्कुल गलत है। यह सब अनुसंधान को भटकाने के लिए कुछ असामाजिक तत्वों का प्रयास है।
शनिवार देर रात उठाए गए थे सातों मजदूर
पीड़ित धनेश्वर दास ने बताया कि शनिवार की रात दो बजे पुलिस उसके घर पहुंची और गोराडीह थाने लाई। वहां सुमेश मंडल हत्याकांड के संबंध में पूछताछ की जाने लगी। कुछ जानकारी नहीं होने के कारण चुप हो जाने पर एक कमरे में ले जाकर उसके साथ मारपीट और अमानवीय यातना दी गई।
पीड़ितों ने बताया कि पुलिस टीम में शामिल एक पदाधिकारी उससे पांच हजार रुपये मांग रहे थे। घायल धनेश्वर दास ने बताया कि गोराडीह पुलिस जबरन अपराधियों का नाम बोलने को कह रही थी। पुलिस ने दोनों हाथ को बांधकर एक घंटे तक पिटाई की। 24 घंटे तक पुलिस ने थाने में रखा।
धनेश्वर दास ने बताया कि पेट्रोल डालने के अलावा करंट वाले तार का भी यातना में इस्तेमाल करने की तैयारी पुलिस ने कर ली थी लेकिन तब तक हंगामा खड़ा हो गया। पीड़ित महादलित जाति से आते हैं। सिटी एसपी मिस्टर राज ने विधि-व्यवस्था डीएसपी को मामले की जांच करने का निर्देश दिया है।