नई दिल्ली। कैंसर एक जानलेवा बीमारी है, जिसके कारणों में जेनेटिक्स से लेकर लाइफस्टाइल जैसे फैक्टर्स शामिल हैं। इसलिए कैंसर के खतरे के बारे में पहले से अनुमान लगाना काफी मुश्किल माना जाता था। हालांकि, हाल ही में एक स्टडी में यह पता चला है कि व्यक्ति के जन्म से पहले ही यह तय हो सकता है कि उसमें कैंसर का कितना खतरा है।
जन्म से पहले ही कैंसर का रिस्क
नेचर कैंसर जर्नल में पब्लिश हुई इस स्टडी के मुताबिक, साइंटिस्ट्स ने दो अलग-अलग एपिजेनेटिक कंडिशन्स की पहचान की है, जो व्यक्ति में कैंसर के खतरे को प्रभावित करते हैं। ये एपिजेनेटिक्स व्यक्ति के शुरुआती स्टेज में ही विकसित हो जाते हैं।
बता दें कि एपिजेनेटिक जेनेटिक एक्टिविटीज को बिना DNA में बदलाव किए कंट्रोल करती है। इस स्टडी के रिजल्ट के अनुसार, इनमें से एक कंडिशन कैंसर के रिस्क को कम करती है, तो वहीं दूसरी रिस्क को बढ़ा देती है।
वैन एंडेल इंस्टीट्यूट के रिसर्चर्स के मुताबिक, कम रिस्क वाली कंडिशन में व्यक्ति में ल्यूकेमिया या लिंफोमा जैसे लिक्विड ट्यूमर होने का खतरा ज्यादा होता है। जबकि, ज्यादा रिस्क वाली कंडिशन में व्यक्ति में लंग या प्रोस्टेट कैंसर, जैसे सॉलिड ट्यूमर होने का रिस्क काफी बढ़ जाता है।
इस रिसर्च के को-ऑथर, डॉ. जे. एंड्रयू पोस्पिसिलिक बताते हैं कि इस स्टडी से पहले यह माना जाता था कि कैंसर आमतौर पर उम्र बढ़ने के साथ DNA में होने वाले नुकसान और DNA में बदलावों के कारण होता है, लेकिन इस स्टडी से पता चलता है कि जन्म से पहले ही कैंसर का जोखिम तय हो सकता है।
चूहों पर किया गया प्रयोग
इस रिसर्च में चूहों पर किए गए प्रयोग से पता चलता है कि ट्रिम28 जीन के नीचे स्तर वाले चूहों में कैंसर से जुड़े जीन्स पर एपिजेनेटिक मार्कर दो अलग-अलग पैटर्न में पाए गए। ये पैटर्न शुरुआती स्टेज में ही विकसित हो जाते हैं।
एपिजेनेटिक एरर्स की वजह से बढ़ता है खतरा
इस रिसर्च में यह भी पाया गया कि एपिजेनेटिक एरर्स कैंसर के रिस्क को बढ़ा सकती हैं। ये सेल्स की क्वालिटी को कंट्रोल करती है, लेकिन एरर होने की वजह से अनहेल्दी सेल्स बढ़ने लगते हैं।
हालांकि, हर असामान्य सेल कैंसर में नहीं बदलता है, लेकिन इसका रिस्क जरूर बढ़ जाता है। कैंसर की जल्दी पहचान करने और इसके इलाज में यह रिसर्च काफी अहम साबित हो सकती है।
इससे कैंसर के इलाज और डायग्नोसिस के ऑप्शन की संभावना को बढ़ाती है। एपिजेनेटिक्स के माध्यम से कैंसर के जोखिम को समझना और उसे नियंत्रित करना भविष्य में इस जानलेवा बीमारी से लड़ने का एक प्रभावी तरीका साबित हो सकता है।