नई दिल्ली। केन्द्रीय जांच ब्यूरो (CBI) पर भारत सरकार का नियंत्रण नहीं है। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में आज यह अहम बात कही है। बंगाल सरकार की ओर से राज्य के कई मामलों की जांच CBI के हाथ जाने पर दायर अर्जी को लेकर केंद्र ने यह बात कही है। बंगाल सरकार का कहना था कि राज्य की अनुमति के बिना ही सीबीआई ने कई मामलों की जांच ले ली है। ऐसा करना गलत है और संघीय ढांचे के खिलाफ है।
इस पर सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने शीर्ष अदालत से कहा कि सीबीआई हमारे ‘नियंत्रण’ में नहीं है। केंद्र ने पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से दायर वाद पर अपनी प्रारंभिक आपत्तियों में यह बात कही।
दरअसल, पश्चिम बंगाल सरकार ने कहा है कि सीबीआई राज्य की पूर्वानुमति के बिना कई मामलों में अपनी जांच आगे बढ़ा रही है। बंगाल सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 131 के तहत केंद्र के खिलाफ शीर्ष अदालत में एक मुकदमा दायर किया है। इसमें आरोप लगाया गया है कि सीबीआई प्राथमिकी दर्ज कर रही है और अपनी जांच आगे बढ़ा रही है।
ऐसा तब हो रहा है, जब राज्य ने अपने अधिकार क्षेत्र में संघीय एजेंसी को मामलों की जांच के लिए दी गई आम सहमति वापस ले ली है। अनुच्छेद 131 केंद्र और एक या अधिक राज्यों के बीच विवाद में सर्वोच्च न्यायालय के मूल अधिकार क्षेत्र से जुड़ा है।
केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ को बताया कि संविधान का अनुच्छेद 131 उच्चतम न्यायालय को प्रदत्त ‘सर्वाधिक पवित्र अधिकार क्षेत्र में से एक’ है और इस प्रावधान के दुरुपयोग की इजाजत नहीं दी जा सकती।
उन्होंने कहा कि राज्य ने जो केस दायर किया है और उसमें जिन मामलों का जिक्र है वे केंद्र सरकार ने दर्ज नहीं किए हैं। मेहता ने कहा, ‘भारत सरकार ने कोई मामला दर्ज नहीं किया है। सीबीआई ने इसे दर्ज किया है। सीबीआई भारत सरकार के नियंत्रण में नहीं है।’
फिलहाल इस केस की सुनवाई जारी है। दरअसल पश्चिम बंगाल सरकार ने सीबीआई को जांच करने अथवा राज्य में छापे मारने के संबंध में दी गई ‘आम सहमति’ 16 नवंबर 2018 को वापस ले ली थी। इसके बाद भी सीबीआई के केस दर्ज करने को लेकर बंगाल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख कर लिया है।