नई दिल्ली। दिल्ली परिवहन निगम (DTC) पर 60 हजार करोड़ का कर्ज नवगठित रेखा सरकार के लिए बड़ी चुनौती बन रह है। प्रतिदिन भी निगम में घाटा बढ़ रहा है।
इस आर्थिक संकट में महिलाओं की फ्री बस सेवा सरकार के लिए अग्निपरीक्षा से कम नही है। पिछली आप सरकार निगम का यह 60 हजार करोड़ का घाटा वर्तमान रेखा सरकार को उपहार में दे गई है।
दूसरे शब्दों में कहें तो आप की सरकार अपने दोनों ही कार्यकाल में पर्याप्त बसें खरीदने में विफल रही है। 2015 से 2020 के कार्यकाल में यह सरकार एक बस भी नहीं खरीद सकी थी।
CAG रिपोर्ट ने पूर्व की आप सरकार की नाकामी और लापरवाही को उजागर कर दिया है। कैग ने इस बात से पर्दा उठा दिया है कि किस तरह से सरकार की लापरवाही के चलते डीटीसी का घाटा बढ़ता जा रहा है।
घाटा 35 हजार करोड़ से ऊपर पहुंच गया
रिपोर्ट के अनुसार रूट निर्धारण में गड़बड़ी के कारण दिल्ली परिवहन निगम (DTC) को भारी नुकसान। तीन वर्षों में दिल्ली परिवहन निगम का घाटा 35 हजार करोड़ से ऊपर पहुंच गया। वर्ष 2012 के दिल्ली सरकार के मानक के अनुसार, 5500 बसों की जरूरत थी। इसकी तुलना में लगभग चार हजार बसें चलती हैं।
2015-16 के 25,300 करोड़ रुपये से बढ़कर 2021-22 में लगभग 60,750 करोड़ हो गया है। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि यह घाटा इसलिए भी बढ़ गया है कि 45% बसें ओवरएज हैं और बड़े स्तर पर खराब रहती हैं।
जिसके परिणाम स्वरूप बेड़े का उपयोग औसत से कम है। लेखा परीक्षक ने कई खामियों की ओर इशारा किया है, जिसमें परिवहन उपयोगिता की अपने बेड़े को बढ़ाने में असमर्थता भी शामिल है।
एक रिपोर्ट DTC बसों से भी जुड़ी
दिल्ली विधानसभा में कैग की 14 जो रिपोर्ट पेश की जाएंगी। इसमें एक रिपोर्ट DTC बसों से भी जुड़ी है। यह रिपोर्ट भी उन रिपोर्ट में शामिल है, जिसे आप सरकार ने विधानसभा में रखने से इनकार कर दिया था।
2009 से DTC बसों के किराये में कोई बदलाव नहीं हुआ है। महिलाओं को फ्री बस सेवा योजना शुरू करने से बोझ और बढ़ गया है। कैग ने बताया कि डीटीसी को घाटे से निकालने के लिए किसी ठोस योजना की जरूरत है।
डीटीसी के पास होना चाहिए 11 हजार बसों का बेड़ा
2007 में दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा था कि डीटीसी के पास 11 हजार बसों का बेड़ा होना चाहिए। पांच साल बाद दिल्ली कैबिनेट ने तय किया कि दिल्ली में 5500 बसें होंगी।
CAG रिपोर्ट के अनुसार, मार्च 2022 के अंत में DTC के पास 3937 बसों का बेड़ा था। जिसमें से 1770 यानी करीब 45 प्रतिशत बसें कबाड़ हो चुकी हैं। जबकि लो फ्लोर बसें 10 साल से अधिक पुरानी थीं, उन्हें अगले महीने के लास्ट तक हटाया जाना था।
300 नई बसों की खरीद की
आप सरकार ने 2022 में 300 नई बसों की खरीद की, लेकिन इसके बावजूद 1740 बसों की कमी थी। CAG की रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि फेम-1 योजना के तहत मिले 49 करोड़ रुपये का लाभ भी AAP सरकार ने नहीं उठाया। फेम-2 के तहत इलेक्ट्रिक बसों की अनुबंध की अवधि 12 वर्ष से घटाकर 10 वर्ष कर दी गई।
रूटों को लेकर भी कई कमियां
इसके अलावा कैग ने रूटों को लेकर भी कई कमियां उजागर कीं। रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली के 468 मार्गों पर बसों का संचालन किया जा रहा है। किसी भी मार्ग पर चलने वाली बस अपना उस रूट का खर्च वसुलने में भी नाकाम रही है। इस कारण 2015 से लेकर 2022 तक डीटीसी को 14 हजार 199 करोड़ रुपये का घाटा हुआ।
बता दें कि DTC की टूटी बसें बदलने के लिए 2015 में अरविंद केजरीवाल ने 10 हजार नई बसें खरीदने का एलान किया था। मगर आप सरकार ऐसा नहीं कर सकी।