नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल को सोशल मीडिया पर अदालत की कार्यवाही का वीडियो हटाने का निर्देश दिया। सुनीता केजरीवाल ने सोशल मीडिया पर ये वीडियो तब पोस्ट किया था जब अरविंद केजरीवाल शराब नीति घोटाले मामले में ईडी द्वारा गिरफ्तार होने के बाद अदालत के सामने पेश हुए थे।
जस्टिस नीना बंसल कृष्णा और जस्टिस अमित शर्मा की बेंच ने सुनीता केजरीवाल और अन्य के खिलाफ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग नियमों का उल्लंघन करने के आरोप में दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए नोटिस जारी किया है।
‘सुनीता केजरीवाल ने जानबूझ कर की कोर्ट की अवमानना’
सुनीता केजरीवाल के खिलाफ ये जनहित याचिका दिल्ली के वकील वैभव सिंह ने दायर की है। उन्होंने आरोप लगाया है कि मुख्यमंत्री की पत्नी ने जानबूझकर और इरादतन दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा अधिसूचित वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग नियमों की अवहेलना की है।
इस याचिका में अक्षय मल्होत्रा, एक्स यूजर नागरिक-इंडिया जीतेगा, प्रमिला गुप्ता, वीनेता जैन और डॉ. अरुणेश कुमार यादव के खिलाफ भी शिकायत दर्ज की गई है। अदालत ने सभी आरोपियों को निर्देश दिया है कि वे अपने सोशल मीडिया हैंडल्स से वीडियो हटा दें। अब इस मामले की सुनवाई 09 जुलाई को होगी।
एसआईटी के गठन की मांग
अदालत में दायर याचिका में एक एसआईटी के गठन की मांग की गई है, जो उन लोगों के खिलाफ जांच करे और एफआईआर दर्ज करे, जिन लोगों ने कोर्ट की कार्यवाही का ऑडियो और वीडियो सार्वजनिक किया। याचिका में कहा गया है कि इस कदम ने ट्रायल कोर्ट के जज की जान को खतरे में डाल दिया है।
आप के नेताओं पर साजिश करने का आरोप
याचिका में कहा गया है कि आम आदमी पार्टी के कई कार्यकर्ताओं समेत अन्य विपक्षी पार्टियों के सदस्यों ने जानबूझकर और इरादतन कोर्ट की कार्यवाही का ऑडियो और वीडियो रिकॉर्डिंग किया और इसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर वायरल किया।
इससे कोर्ट की कार्यवाही को बिगाड़ने और गलत दिशा में मोड़ने का प्रयास किया गया है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि कोर्ट की कार्यवाही की ऑडियो या वीडियो रिकॉर्डिंग करने की साजिश अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी के सदस्यों द्वारा रची गई थी।
आरोपियों के खिलाफ सख्त ऐक्शन लेने की मांग
याचिका में उन लोगों की पहचान के लिए पूरी जांच की मांग की गई है, जो कथित रूप से कोर्ट की कार्यवाही की ऑडियो और वीडियो रिकॉर्डिंग करके उसे शेयर करने के लिए जिम्मेदार हैं।
याचिका में अपील की गई है कि आरोपियों को कोर्ट की अवमानना अधिनियम, 1971 के प्रावधानों और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग नियम उल्लंघन के दोषियों को कड़ी सजा दी जाए। इसके अलावा, यह भी मांग की गई है कि सोशल मीडिया प्लेटफार्मों को निर्देश जारी किए जाएं ताकि ऐसी अनधिकृत रिकॉर्डिंग को रोका जा सके।