नई दिल्ली। दिल्ली नगर निगम (MCD) की स्थायी समिति के रिक्त पड़े एक पद का चुनाव 26 सितंबर को होने वाली निगम सदन की बैठक में होगा। महापौर ने रिक्त पद पर चुनाव कराने की मंजूरी दे दी है।
अब सप्ताह के अंत तक नामांकन की प्रक्रिया इसमें शुरू हो सकती है। इसमें कोई भी पार्षद एक प्रस्तावक व अनुमोदक के साथ नामांकन कर सकता है। वैसे इसमें भाजपा व आप दोनों की तरफ से नामांकन किए जाने की उम्मीद है।
इस रिक्त पद पर चुनाव होने के बाद स्थायी समिति के गठन के लिए बस एक ही चरण बचेगा। जिसमें कि निगमायुक्त को स्थायी समिति के चेयरमैन व डिप्टी चेयरमैन के चुनाव की तारीख तय करनी होगी जबकि महापौर को चेयरमैन के चुनाव के लिए पीठासीन अधिकारी की नियुक्ति करनी होगी।
सदन की बैठक में होगा चुनाव
निगम में इस रिक्त पद का चुनाव सदन की बैठक में होगा। इसमें सदन में मौजूद सभी निर्वाचित पार्षद ही मतदान करते हैं। नियमानुसार इसमें प्राथमिकता के आधार पर मतदान होता है। ऐसे में सदन में आप के पास 127 तो भाजपा के पास 112 और कांग्रेस के पास 9 व एक निर्दलीय व एक पद रिक्त हैं।
इसलिए ज्यादा संख्या होने की वजह से आप द्वारा इस पद के जीतने की उम्मीद है बशर्ते कोई पार्षद क्रोस वोटिंग न करें। निगम ने भी चुनाव में कोई समस्या न हो इसके लिए स्थायी समिति के सदस्य के चुनाव राज्य चुनाव आयोग से विशेषज्ञ को भी आमंत्रित किया जाएगा।
क्या होगी चुनाव की प्रक्रिया
- रिक्त पद पर चुनाव होने के बाद अगले माह सदन की बैठक में स्थायी समिति के चेयरमैन और डिप्टी चेयरमैन के चुनाव की मंजूरी दी जाएगी
- इस मंजूरी के बाद निगमायुक्त स्थायी समिति के चेयरमैन और डिप्टी चेयरमैन के चुनाव के लिए तारीख तय करेंगे
- इसके बाद निगम सचिव कार्यालय स्थायी समिति के 18 सदस्यों में से चेयरमैन व डिप्टी चेयरमैन पद के लिए नामांकन मांगेगा
- महापौर को चुनाव के लिए पीठासीन अधिकारी की नियुक्ति करनी होगी।
बराबर सदस्य होने पर लॉटरी से होता है चुनाव
दिल्ली नगर निगम में स्थायी समिति का गठन छह सदस्य सदन से पार्षदों द्वारा चुने जाते हैं जबकि 12 सदस्य संबंधित वार्ड कमेटियों से चुने जाते हैं। 18 सदस्य वाली स्थायी समिति के लिए यह पार्षद ही अपने बीच में प्रत्याशी बने लोगों का चुनाव करते हैं।
AAP को मिलेगा फायदा
अब चूंकि सदन से चुने गए छह में तीन सदस्य अभी आप के पास हैं जबकि दो सदस्य भाजपा के पास है। 26 सितंबर को जो चुनाव होगा वह भाजपा की स्थायी समिति की सदस्य कमलजीत सहरावत के इस्तीफे की वजह से होगा। ऐसे में यह पद अब संख्याबल आप के पास ज्यादा होने की वजह से आप के पास जा सकता है।
ऐसे में आप के स्थायी समिति के लिए चार सदस्य सदन से और पांच सदस्य वार्ड कमेटियों से होने की वजह से कुल सदस्यों की संख्या नौ हो जाएगी। इसी तरह भाजपा के पास सदन से चुने हुए दो सदस्य हैं और सात सदस्य वार्ड कमेटियों से हैं तो उसके पास भी सदस्यों की संख्या नौ हो जाएगी।
ऐसे में मतदान के दौरान बराबर के वोट होने पर चेयरमैन का चुनाव लॉटरी के माध्यम से हो सकता है। बराबर संख्या होने की वजह से दोनों दलों में से जिसका भी चेयरमैन होगा उसके सामने चुनौती यह होगी कि वह बराबर की संख्या होने पर प्रस्ताव कैसे पास कराए।
क्योंकि ऐसी स्थिति में चेयरमैन के पास जब वोट करने का अधिकार होता है तब कि नीचे समिति के सदस्यों में से पक्ष और विपक्ष के बराबर वोट हो। आने वाले समय में प्रस्तावों के पास होने में भी समस्याएं इस वजह से आ सकती है।