नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश दीपांकर दत्ता ने शुक्रवार को कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि हर संभव मोर्चे पर भारत की प्रगति को बदनाम करने, कम करने और उसे कमजोर करने की कोशिश की जा रही है और ऐसी किसी भी कोशिश को शुरू में ही रोकना होगा।
SC के न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता सुप्रीम कोर्ट की उस पीठ में शामिल थे जिसने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) के जरिये डाले गए वोट का वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) के साथ 100 फीसद मिलान की मांग वाली सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया। इस पीठ में न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता के साथ न्यायमूर्ति संजीव खन्ना भी थे।
न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता ने क्या कुछ कहा?
न्यायमूर्ति दत्ता ने कहा कि हाल के वर्षों में, कुछ निहित स्वार्थी समूहों की ओर से राष्ट्र की उपलब्धियों और गुणों को कमजोर करने का प्रयास करने की प्रवृत्ति तेजी से विकसित हो रही है।
पीठ का नेतृत्व कर रहे न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की राय से सहमति जताते हुए एक अलग फैसले में न्यायमूर्ति दत्ता ने अपने विचार लिखे। उन्होंने कहा, तथ्यों और परिस्थितियों के आधार पर पेपर बैलेट सिस्टम पर लौटने का सवाल ही नहीं उठता और न ही उठ सकता है।
जस्टिस दत्ता ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि इस महान राष्ट्र की प्रगति को हर संभव मोर्चे पर बदनाम करने, कम करने और उसे कमजोर करने की ठोस कोशिश हो रही है और ऐसी किसी भी कोशिश को शुरू में ही समाप्त करना होगा।
उन्होंने कहा कि कोई भी संवैधानिक अदालत इस तरह की कोशिशों को तब तक सफल नहीं होने देगी जब तक मामले में अदालत की अपनी राय देने का अधिकार है।