नई दिल्ली। निर्वाचन आयोग ने लोकसभा चुनाव में बाधा डालने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को फटकार लगाई। आयोग ने उनके बयानों को चुनाव संचालन के महत्वपूर्ण पहलुओं पर आक्रामकता करार दिया।
चुनाव आयोग ने कहा कि मतदान से जुड़ा डेटा जारी करने के संबंध में कांग्रेस के आरोप निराधार हैं। इससे स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों कराने में भ्रम पैदा होता है।
आयोग ने कहा कि ऐसे बयानों से चुनावों में मतदाताओं की भागीदारी पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। राज्यों में बड़ी चुनाव मशीनरी इससे हतोत्साहित भी हो सकती है।
खरगे ने मतदान के आंकड़े जारी करने पर उठाए थे सवाल
बता दें कि खरगे ने सात मई को इंडी गठबंधन के नेताओं को पत्र लिखा था। पत्र में चुनाव आयोग द्वारा जारी किए गए मतदान के आंकड़ों पर सवाल उठाए थे। उन्होंने कथित धांधली का आरोप लगाया था।
पत्र में खरगे ने विपक्षी गठबंधन के नेताओं से अपील की थी कि वे ऐसी धांधलियों के खिलाफ आवाज उठाएं। खरगे ने लिखा ‘हमारा एकमात्र उद्देश्य संविधान की रक्षा और लोकतंत्र की संस्कृति की रक्षा करना है’।
खरगे ने विपक्षी नेताओं को लिखा पत्र
कांग्रेस अध्यक्ष ने लिखा था, ‘इंडियन नेशनल डेवलेपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस (I.N.D.I.A) के तौर पर यह हमारा साझा प्रयास होना चाहिए कि हम लोकतंत्र की रक्षा करें और चुनाव आयोग की निष्पक्षता को बचाएं।’ खरगे ने मतदान प्रतिशत के आंकड़ों में हुए फेरबदल पर सवाल उठाते हुए आरोप लगाया कि ‘यह अंतिम नतीजों में फेरबदल करने की कोशिश हो सकती है।’
खरगे ने कहा कि ‘हम सभी जानते हैं कि पहले दो चरणों में मतदान के रुझानों को देखते हुए पीएम मोदी और भाजपा परेशान है। पूरा देश जानता है कि यह तानाशाही सरकार सत्ता के नशे में चूर है और अपनी कुर्सी बचाने के लिए किसी भी हद तक जा सकती है।’
आंकड़े जारी करने में हुई देरी पर उठे सवाल
दरअसल लोकसभा चुनाव के दो चरणों के मतदान प्रतिशत और डाटा साझा करने में हुई देरी पर विपक्षी पार्टियां सवाल उठा रही हैं। पहले दो चरणों में मतदान प्रतिशत कम रहा। हालांकि चुनाव आयोग ने मतदान के कई घंटे बाद मतदान प्रतिशत के नए आंकड़े जारी किए, जिसमें मतदान प्रतिशत में 5-6 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई।
इस विपक्षी दलों ने सवाल उठाया कि आंकड़े जारी करने में इतनी देरी क्यों लगी? विपक्ष ने चुनाव में धांधली का आरोप लगाया। मंगलवार को लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण के लिए मतदान हो रहा है, जिसमें 11 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की 93 लोकसभा सीटों के लिए वोट डाले जा रहे हैं।