अयोध्या/पटना। बिहार बीजेपी अध्यक्ष और उप-मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने आखिरकार अपनी कसम को समाप्त कर दिया। सम्राट चौधरी इसके लिए कल 2 जुलाई ही अयोध्या रवाना हो गए थे। आज 3 जुलाई की सुबह वो अपने वादे के मुताबिक सरयू नदी के तट पर पहुंचे।
इसके बाद वो सरयू नदी में उतरे और वहां स्नान किया। फिर उन्होंने अपनी कसम वाली पगड़ी उतार दी। सम्राट चौधरी ने मुंडन भी करा रखा था, ये तब पता चला जब उन्होंने अपनी पगड़ी उतारी।
सम्राट चौधरी की कसम का अंत
सम्राट चौधरी के पगड़ी उतारते ही उनकी कसम का सरयू नदी में समापन हो गया। पगड़ी उतारने से पहले और बाद में सम्राट चौधरी ने वहां मौजूद सभी लोगों को नदी से ही प्रणाम किया।
सम्राट चौधरी ने इस बात का ऐलान पहले ही कर दिया था कि वो अपनी पगड़ी अयोध्या जाकर उतार देंगे। ये सम्राट चौधरी की वो कसम थी, जो उन्होंने अपनी माता की निधन के बाद खाई थी।
क्या थी सम्राट चौधरी की कसम
ये तब की बात है जब सीएम नीतीश कुमार ने NDA का साथ छोड़ अगस्त 2022 में तेजस्वी यादव के साथ महागठबंधन की सरकार बनाई थी। तब बीजेपी ने सम्राट चौधरी को आगे किया था।
बीजेपी ने विजय कुमार सिन्हा को तब नेता प्रतिपक्ष बनाया था और उसी वक्त बिहार बीजेपी के अध्यक्ष के तौर पर सम्राट चौधरी की ताजपोशी कराई गई थी। उसी दौरान सम्राट चौधरी ने कसम खाई थी कि वो तब तक अपनी पगड़ी नहीं उतारेंगे जब तक वो नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री की गद्दी से उतार नहीं देते।
नीतीश को पद से उतारे बगैर सम्राट चौधरी ने क्यों खोली पगड़ी?
अब सवाल ये कि सीएम नीतीश को मुख्यमंत्री पद से उतारे बगैर सम्राट चौधरी ने पगड़ी क्यों उतारी? उन्होंने अपनी कसम पूरी किए बगैर ये पगड़ी क्यों खोली? दरअसल कसम तो खाई सम्राट चौधरी ने थी, लेकिन ये टीस सीएम नीतीश के दिल में मार रही थी।
उधर नीतीश कुमार 28 जनवरी 2024 को आधिकारिक रूप से फिर से बीजेपी के साथ आकर NDA का हिस्सा बन गए थे। ऐसे में अब सम्राट चौधरी की इस कसम का पूरा होना असंभव था। कहा जाता है कि जब कसम पूरी करना असंभव हो तो उसे विलीन कर देना चाहिए। सम्राट चौधरी ने भी यही किया, उन्होंने अपनी कसम को अयोध्या जाकर सरयू नदी में विलीन कर दिया।