सात साल पहले 10 किसानों से हुई छोटी सी शुरुआत आज 1500 किसानों के समूह तक पहुंच गई है। इन्होंने गेहूं और धान की परंपरागत खेती को छोड़कर बीज उत्पादन व मोटे अनाज की ओर रुख किया। नवाचार किया तो कुछ दिक्कतें आईं, कुछ लोगों ने मजाक भी बनाया, लेकिन ये पीछे नहीं हटे। आज मोटे अनाज से बिस्किट, नमकीन और पफ सहित करीब नौ उत्पाद बना रहे हैं। सालाना कारोबार सात करोड़ रुपये तक पहुंच गया है।
सफलता की यह कहानी है किसानों के सामूहिक प्रयास और खेती में किए गए नवाचार की। 2014 में सेना से कैप्टन पद से रिटायर हुए आरपी पचौरी ने 2018 में इसकी शुरुआत की और 10 किसानों को साथ लेकर कोमालिका फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी बनाई।
वह बताते हैं कि उस समय सरकार किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) बनाने पर जोर दे रही थी, शुरू में खाद-बीज वितरण से इसकी शुरूआत की, सात गांवों में स्टोर खोले। इसमें पैसा फंसा तो इसे बंद करना पड़ा। इसके बाद धान, सरसों, आलू और मूंग का बीज तैयार करने का कार्य शुरू किया। इसके अलावा गुआना और बहरीन में आलू का निर्यात भी किया।

