नई दिल्ली। देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी LIC में इस फाइनेंशियल ईयर में सरकार पांच फीसदी हिस्सेदारी बेचने की योजना बना रही है। केंद्र सरकार मई 2022 में इस कंपनी का IPO लाई थी जिसके जरिए उसने 21,000 करोड़ रुपये जुटाए थे। इस IPO के तहत सरकार ने कंपनी में 3.5 फीसदी हिस्सेदारी बेची थी। कंपनी में अब सरकार की 96.5 फीसदी हिस्सेदारी है।
एक रिपोर्ट में बताया गया है कि सरकार कंपनी में अपनी हिस्सेदारी कम करने के लिए FPO और QIP लाने पर विचार कर रही है। कंपनी का शेयर शुरुआती कारोबार में 3% से अधिक तेजी के साथ 1116.95 रुपये पर ट्रेड कर रहा है। इसके साथ ही कंपनी का मार्केट कैप 7,03,497.87 करोड़ पहुंच गया है।
सेबी के नियमों के मुताबिक हर लिस्टेड कंपनी की कम से कम 25 फीसदी हिस्सेदारी पब्लिक के पास होनी चाहिए। सरकार ने पिछले साल एलआईसी को इस शर्त को पूरा करने के लिए 10 साल की छूट दी थी। कंपनी को मई 2032 तक यह काम करना होगा।
सेबी ने इसी साल 14 मई को LIC को 10 फीसदी पब्लिक शेयरहोल्डिंग की शर्त को पूरा करने के लिए तीन साल का अतिरिक्त समय दिया था। यानी उसे लिस्टिंग डेट से पांच साल के भीतर यानी 16 मई 2027 तक यह काम करना होगा। LIC देश की सबसे बड़ी इंश्योरेंस कंपनी है। प्रीमियम के हिसाब से इसकी बाजार हिस्सेदारी 58.87 परसेंट और पॉलिसीज के हिसाब से 69.91 फीसदी है।
LIC का IPO
एलआईसी का 21,000 करोड़ रुपये आईपीओ मई 2022 में आया था। यह भारतीय इतिहास का अब तक का सबसे बड़ा आईपीओ है। इसका इश्यू प्राइस 949 रुपये था। इसकी लिस्टिंग 17 मई, 2022 को हुई थी। इसका 52 हफ्ते का उच्चतम स्तर 1,221.50 रुपये और न्यूनतम स्तर 597.65 रुपये है।