नई दिल्ली। गेहूं के दाम न बढ़ने देने व जमाखोरी रोकने एवं मूल्य स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए केंद्र ने थोक व्यापारियों और खुदरा विक्रेताओं के लिए स्टॉक होल्डिंग लिमिट लगा दी है। केंद्रीय खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने आज सोमवार को एक संवाददाता सम्मेलन में इसकी जानकारी दी है।
उन्होंने बताया कि एकल खुदरा विक्रेताओं, बड़े खुदरा विक्रेताओं, प्रसंस्करणकर्ताओं और थोक व्यापारियों को हर शुक्रवार को अपने गेहूं स्टॉक की घोषणा करनी होगी। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि वह देश में गेहूं की कमी की अफवाहों को दूर करना चाहते हैं। कहा कि अभी तक गेहूं के निर्यात पर कोई रोक नहीं है और चीनी के निर्यात पर लगे प्रतिबंध की समीक्षा का भी कोई प्रस्ताव नहीं है।
इतनी होगी स्टॉक लिमिट
उन्होंने कहा, वह चाहते हैं कि गेहूं की कीमतें स्थिर रहें। आगे बताया कि थोक व्यापारियों के लिए स्टॉक सीमा 3,000 टन होगी, जबकि प्रसंस्करणकर्ताओं के लिए यह उनकी प्रसंस्करण क्षमता का 70 प्रतिशत होगा। वहीं बड़ी श्रृंखला वाले खुदरा विक्रेताओं के लिए यह प्रति दुकान 10 टन और कुल सीमा 3,000 टन होगी। वहीं एकल खुदरा विक्रेताओं के लिए यह 10 टन होगा।
इसलिए लगाई गई लिमिट
बताया कि हाल ही में मीडिया में आई खबरों के मद्देनजर स्टॉक सीमा लगाई गई है, जिन खबरों में गेहूं सहित आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि की बात कही जा रही है। उन्होंने बताया कि स्टॉक सीमा को जमाखोरी कम करने के लिए लगाया गया है। यह भी कहा कि खुदरा कीमतों पर नजर रखने के लिए कई उपकरण हैं और स्टॉक सीमा उन्हीं में से एक उपकरण है।
अभी जारी है गेहूं की खरीद
उन्होंने यह भी बताया कि 1 अप्रैल, 2023 को गेहूं का प्रारंभिक स्टॉक 82 लाख टन (एलएमटी) था, जबकि 1 अप्रैल, 2024 को यह 75 एलएमटी था। उन्होंने आगे बताया कि पिछले वर्ष 266 एलएमटी की खरीद की गई थी, जबकि इस वर्ष सरकार ने 262 एलएमटी की खरीद की है और खरीद अभी भी जारी है। इसलिए गेहूं की कमी (प्रारंभिक स्टॉक में) सिर्फ 3 लाख टन है।