नई दिल्ली। डिजिटल अरेस्ट के मामलों ने ना सिर्फ आम पब्लिक को परेशान किया है, सरकार भी इससे चिंतित है। बीते कुछ महीनों से डिजिटल अरेस्ट करने वालों पर ताबड़तोड़ कार्रवाई की गई है।
सरकार ने बताया है कि इंडियन साइबर क्राइम कोऑर्डिशन सेंटर ने 3,962 से ज्यादा Skype IDs और 83 हजार 668 WhatsApp अकाउंट को ब्लॉक किया है। इस आईडी से डिजिटल अरेस्ट के मामलों को अंजाम दिया जा रहा था।
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री संजय बंदी कुमार की ओर ये यह जानकारी साझा की गई है। इसके अलावा, 28 फरवरी तक 7.81 लाख से अधिक सिम कार्ड और 2 लाख 8 हजार 469 IMEI नंबर ब्लॉक किए जा चुके हैं। डिजिटल अरेस्ट की शिकायत साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर 1930 पर कॉल करके की जा सकती है।
अभी और कार्रवाई की जरूरत
केंद्रीय मंत्री की ने बताया कि जिन अकाउंट्स को ब्लॉक किया गया है, उनका इस्तेमाल धोखाधड़ी के लिए किया जा रहा था। यह अहम कामयाबी है, लेकिन अभी और बहुत कुछ करने की जरूरत है। सरकार की तरफ से ऐसे अकाउंट्स को मॉनिटर किया जा रहा है और एक के बाद एक उन्हें ब्लॉक किया जा रहा है।
7.81 लाख सिम कार्ड किए ब्लॉक
जिन मोबाइल नंबरों को ऐसी गतिविधियों में शामिल पाया गया है, उनके खिलाफ भी सरकार ऐक्शन ले रही है। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, गृह मंत्रालय की ओर से बताया गया है कि 28 फरवरी तक 7.81 लाख से ज्यादा सिम कार्ड और 2 लाख 8 हजार 469 IMEI नंबरों को ब्लॉक किए जा चुके हैं।
ऐसे की जाती है कार्रवाई
डिजिटल अरेस्ट के मामलों की जांच पुलिस करती है। जब वह उसमें किसी मोबाइल नंबर, वॉट्सऐप अकाउंट या स्काइप आईडी को शामिल पाती है तो सरकार से इसकी जानकारी शेयर की जाती है। उसके बाद नंबरों और आईडी को ब्लॉक किया जाता है, ताकि कोई और फर्जीवाड़े का शिकार ना बन पाए।
क्या है डिजिटल अरेस्ट?
यह ठगी का नया तरीका है और कई महीनों से लोगों को परेशान किए हुए हैं। इस तरह के अपराध में सामने वाला खुद को सरकारी अधिकारी बताकर पेश करता है। वह वीडियो कॉल करके पीड़ित को उसी के घर में बंदी बनाने की कोशिश करता है।
पीड़ित को इस तरह से झांसे में लिया जाता है कि उसका कोई सगा-संबंधी मुसीबत में है या उसके मोबाइल नंबर का इस्तेमाल गलत काम में हो रहा है। डिजिटल अरेस्ट कर लेने के बाद पीड़ित से पैसों की डिमांड की जाती है।
सरकार कर रही है जागरूक
डिजिटल अरेस्ट के बढ़ते मामलों को देखते हुए सरकार ने कई कदम उठाए हैं। डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकम्युनिकेशन अलग-अलग भाषाओं में कॉलर ट्यून से अभियान चला रहा है कि डिजिटल अरेस्ट के झांसे में ना आएं।
लोगों से अपील की जा रही है कि अगर कोई उन्हें सरकारी अधिकारी बताकर कॉल करता है और पैसों की डिमांड करता है तो वह डिजिटल अरेस्ट करने की फिराक में है।