चंडीगढ़। हरियाणा की 90 विधानसभा सीटों में से 67 पर उम्मीदवारों की घोषणा के बाद भले ही टिकट से वंचित भारतीय जनता पार्टी के नेताओं और उनके समर्थकों ने बगावती तेवर अपना लिए हैं, लेकिन पार्टी ने सर्वे में जीतने वाले उम्मीदवारों पर ही दांव खेला है। भाजपा ने जिन पांच पूर्व मंत्रियों को टिकट दिए हैं, वह पार्टी के सर्वे में बाकी दावेदारों से काफी आगे थे।
भाजपा ने टिकटों के आवंटन में केंद्रीय राज्य मंत्री राव इंद्रजीत की पसंद का ख्याल तो रखा, लेकिन साथ ही उनके विरोधियों को भी चुनावी रण में उतारकर यह संदेश देने की कोशिश की है कि पार्टी के लिए उम्मीदवारों की जीत इकलौता आधार है। सर्वे में आगे रहने वाले नेताओं के बेटे-बेटियों और पार्टी बदलकर आए नेताओं को भी टिकट देने से परहेज नहीं किया है।
इन नेताओं को क्यों रखा दूर
भाजपा नेतृत्व ने 10 साल से चल रही सरकार के प्रति एंटी इनकंबेंसी (सत्ता विरोधी लहर) की आशंका को देखते हुए 40 सीटों पर बदलाव किया है, जिनमें 25 सीटों पर नये चेहरे उतारे गए हैं।
टिकट बंटवारे में भाजपा संगठन का जोर चला है, जिसमें RSS की भूमिका अहम रही। खास बात यह है कि संगठन में महत्वपूर्ण पदों पर काम कर रहे नेताओं को टिकट से दूर रखा गया है, जबकि उन नेताओं को टिकट मिले हैं।
संगठन मंत्री को टिकट देने से परहेज
भाजपा के अध्यक्ष मोहन लाल बडौली को पार्टी हाईकमान ने पहले ही चुनाव लड़ाने से मना कर दिया था। भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष जीएल शर्मा, प्रदेश महामंत्री कृष्ण कुमार बेदी, डा. अर्चना गुप्ता और सुरेंद्र पुनिया को भी पार्टी ने टिकट नहीं दिए हैं।
पूर्व मंत्री कविता जैन भी भाजपा की नई टीम में प्रदेश उपाध्यक्ष हैं, जिनका टिकट काट दिया गया है। भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष एवं पूर्व मंत्री विपुल गोयल पार्टी के सर्वे में मजबूत मिले हैं।
नौ विधायकों के काटे टिकट
भाजपा संगठन में काम कर रहे कुलदीप बिश्नोई को उनकी पसंद की तीन सीटें दी गई हैं, जबकि आरएसएस की पृष्ठभूमि के स्वास्थ्य मंत्री डा. कमल गुप्ता को पार्टी ने तमाम विरोध के बावजूद उम्मीदवार बनाया है।
भाजपा की प्रदेश सचिव रेणु डाबला को कलानौर से टिकट मिला है। भाजपा ने जिन नौ विधायकों के टिकट काटे हैं, उनकी सर्वे रिपोर्ट अनुकूल नहीं थी।
सोहना के विधायक एवं राज्य मंत्री संजय सिंह, राज्य मंत्री विशंभर वाल्मीकि और बिजली मंत्री रणजीत चौटाला की रिपोर्ट सर्वे में ठीक नहीं आई। पिहोवा सीट के विधायक पूर्व हाकी कप्तान एवं पूर्व मंत्री संदीप सिंह को टिकट से वंचित कर भाजपा ने दागियों से दूरी बनाई है।
जीटी रोड बेल्ट पर ज्यादा कैंची नहीं
सोनीपत से लेकर अंबाला तक जीटी रोड बेल्ट की करीब 30 सीटें हैं। यहां भाजपा ने ज्यादा छेड़छाड़ नहीं की है। लगभग सारे चेहरे रिपीट किए हैं।
इस बेल्ट के सिर्फ एक विधायक का टिकट काटा गया। वह भी यौन शोषण के केस में घिरे थे। यहां संगठन और आरएसएस के फीडबैक के साथ केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल की पैरवी काम आई।
दक्षिणी हरियाणा-अहीरवाल बेल्ट पर ज्यादा फोकस
भाजपा ने इस बार दक्षिणी हरियाणा की 23 सीटों पर ज्यादा फोकस किया है। इसी में केंद्रीय राज्य मंत्री राव इंद्रजीत के प्रभाव वाली अहीरवाल बेल्ट की आधा दर्जन सीटें भी हैं। भाजपा ने यहां सबसे ज्यादा पांच नेताओं के टिकट काटे। अभी 11 सीटें होल्ड पर हैं।
यह बेल्ट भाजपा को सरकार बनाने में बड़ी मदद करती है। 2014 में भाजपा यहां से 11 सीटें जीती थी तो पूर्ण बहुमत की सरकार बनी थी। 2019 में भाजपा आठ सीटें ही जीत पाई तो सरकार बहुमत के 46 के आंकड़े से दूर 40 पर ही रह गई।
मध्य हरियाणा में जिताऊ उम्मीदवारों से समझौता नहीं
मध्य हरियाणा में भाजपा ने अधिकतर सीटों पर जीतने वाले उम्मीदवारों को टिकट देने में किसी तरह का दबाव नहीं माना है। कुलदीप बिश्नोई की पसंद के उम्मीदवार उतारे हैं तो राज्यसभा सदस्य बनी किरण चौधरी की बेटी को भी टिकट मिला है। चौटाला के प्रभाव वाले सिरसा व फतेहाबाद में भी भाजपा किसी तरह का रिस्क लेती हुई दिखाई नहीं दी है।
आठ पंजाबी व पांच वैश्य नेताओं पर दांव
भाजपा ने राज्य में पंजाबी वोटरों को खुश करने के लिए पूर्व मंत्री अनिल विज, जगमोहन आनंद और प्रमोद विज को टिकट दिए हैं। घनश्याम दास अरोड़ा, सुभाष सुधा, निखिल मदान, कृष्ण मिढा और विनोद भ्याणा भी भाजपा के बड़े पंजाबी चेहरे हैं।
वैश्य वोट बैंक को भाजपा ने साधने में कसर नहीं छोड़ी। भिवानी में घनश्याम सर्राफ को तीसरी बार टिकट दिया गया है। उनके अलावा, डा. ज्ञानचंद गुप्ता, असीम गोयल, कमल गुप्ता और विपुल गोयल को भी टिकट मिले हैं,
जबकि सर्वे में रिपोर्ट कमजोर होने के आधार पर विधायक सुधीर सिंगला, दीपक मंगला, पूर्व मंत्री कविता जैन और विधायक नरेंद्र गुप्ता के टिकट काट दिए गए हैं।
जाट और दलित मतदाता भाजपा की प्राथमिकता में
हरियाणा के एससी वर्ग को साधने के लिए भाजपा ने चुनावी रण में 13 उम्मीदवार उतारे हैं, जिनमें राज्यसभा सदस्य कृष्णलाल पंवार को टिकट मिला है, जबकि दूसरे बड़े दलित चेहरे के रूप में पूर्व सांसद सुनीता दुग्गल पर दाव खेला है।
जाट मतदाताओं को लुभाने के लिए भाजपा ने पिछला चुनाव हारे जाट नेताओं को फिर से टिकट दिए हैं। इनमें भाजपा के बड़े जाट चेहरे ओपी धनखड़ और कैप्टन अभमिन्यु शामिल हैं,
जबकि सुखविंदर सिंह मांढी की सर्वे रिपोर्ट खराब होने की वजह से उनका टिकट काट दिया गया है। ब्राह्मण चेहरे के तौर पर भाजपा ने उद्योग मंत्री पंडित मूलचंद शर्मा और पूर्व सांसद डा. अरविंद शर्मा को टिकट दिए हैं।