दुशान्बे। मुस्लिम बहुल देश ताजिकिस्तान ने अपने यहां हिजाब और अन्य धार्मिक कपड़ों के पहनने पर पांबदी लगा दी है। पिछले 30 सालों से ताजिकिस्तान की सत्ता में काबिज राष्ट्रपति इमोमाली रहमान का मानना है कि धार्मिक पहचान देश के विकास में बाधक है।
राष्ट्रपति अपने देश में पश्चिमी जीनवशैली को बढ़ावा देने में जुटे हैं। ताजिकिस्तान की सरकार का कहना है कि इस प्रतिबंध का उद्देश्य अपनी राष्ट्रीय सांस्कृतिक मूल्यों की रक्षा करना है। इससे अंधविश्वास और उग्रवाद से लड़ने में मदद मिलेगी।
96 फीसदी आबादी मगर हिजाब स्वीकार नहीं
2020 की जनगणना के मुताबिक ताजिकिस्तान में 96 फीसदी आबादी मुस्लिम हैं, मगर वहां की सरकार इस्लामी जीवन शैली और मुस्लिम पहचान को धर्मनिरपेक्ष के लिए एक चुनौती मानती है। 1994 से सत्ता में काबिज इमोमाली रहमान ने दाढ़ी बढ़ाने पर भी रोक लगा दी। इन प्रतिबंधों का उल्लंघन करने पर सजा और भारी जुर्माना का सामना लोगों को करना पड़ता है।
दाढ़ी रखी तो पुलिस काट देगी
ताजिकिस्तान ने साल 2007 से स्कूलों और 2009 से सार्वजनिक संस्थानों में हिजाब पहनने पर प्रतिबंध लगाया था। मगर अब कोई महिला देश में कहीं भी हिजाब या कपड़े से सिर नहीं ढक सकती है। देश में दाढ़ी रखने के खिलाफ कोई कानून नहीं है। इसके बावजूद लोगों की दाढ़ी जबरन काट दी जाती है।
उल्लंघन करने पर कितना जुर्माना?
टीआरटी वर्ल्ड की रिपोर्ट के मुताबिक अगर किसी व्यक्ति ने प्रबंधित कपड़ा पहन लिया तो उसे भारी जुर्माने का सामना करना पड़ता है। आम लोगों पर 64,772 रुपये, कंपनी को 2.93 लाख और सरकारी अधिकारियों पर चार लाख से 4,28,325 रुपये तक जुर्माना लगाया जा सकता है।
विदेश में ली धार्मिक शिक्षा तो भी सजा
ताजिकिस्तान में अगर माता पिता ने अपने बच्चों को धार्मिक शिक्षा हासिल करने विदेश भेजा तो उन्हें दंडित किया जाता है। वहीं 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चे बिना अनुमति के मस्जिदों में नहीं जा सकते हैं। यहां ईद-उल-फितर और ईद-उल-अजहा पर बच्चों के उत्सवों पर भी प्रतिबंध लगा है।
काले कपड़े बेचने पर भी रोक
ताजिकिस्तान सुन्नी मुस्लिम बहुल देश है, मगर यहां हिजाब और दाढ़ी रखने को विदेशी सांस्कृति माना जाता है। दो साल पहले ताजिकिस्तान की राजधानी दुशांबे में काले कपड़े के बेचने पर प्रतिबंध भी लग चुका है।
तुर्किये के दैनिक सबा की रिपोर्ट के मुताबिक 18 वर्ष से कम उम्र किशोर शुक्रवार की नमाज में हिस्सा नहीं ले सकते हैं। 2015 में ताजिकिस्तान की धार्मिक मामलों की राज्य समिति 35 वर्ष से कम उम्र के लोगों के हज यात्रा पर जाने पर प्रतिबंध लगा चुकी है।
ताजिकिस्तान के सामने कट्टरपंथ सबसे बड़ी चुनौती
ताजिकिस्तान की सरकार कट्टरपंथ को सबसे बड़ा खतरा मानती है। उसका मानना है कि इन उपायों से कट्टरवाद से लड़ने में मदद मिलेगी। पिछले कुछ वर्षों में ताजिक नागरिकों ने ISIS खूब ज्वाइन की। इसी साल मार्च में मॉस्को के क्रोकस सिटी हॉल पर आतंकी हमले में ताजिक नागरिक के शामिल होने के सुबूत मिले थे। इस हमले में 140 से अधिक लोगों की मौत हुई थी।
दिल में ईश्वर से प्रेम की सलाह
ताजिकिस्तान के राष्ट्रपति रहमान का कहना है कि मेरा उद्देश्य ताजिकिस्तान को लोकतांत्रिक, संप्रभु, कानून-आधारित और धर्मनिरपेक्ष देश बनाना है। उन्होंने लोगों को अपने दिल में ईश्वर से प्रेम करने की सलाह दी।
मस्जिदों में खोली जा रहीं चाय की दुकानें
2017 में ताजिकिस्तान की धार्मिक मामलों की समिति ने बताया था कि एक साल में देश में 1,938 मस्जिदों को बंद किया गया था। इसके अलावा मस्जिदों को चाय की दुकानों और चिकित्सा केंद्रों में तब्दील किया जा रहा है। 2014 में 200, 2015 में 1000 और 2018 में ISIS में शामिल होने की खातिर सीरिया और इराक जाने वाले ताजिकों नागरिकों की संख्या लगभग 1,000 थी।