नई दिल्ली। छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की पूर्व डेप्युटी सेक्रटरी सौम्या चौरसिया को सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम जमानत मिल गई है। सौम्या पर मनी लॉन्ड्रिंग केस में ईडी जांच कर रही है। जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस उज्जल भुयान की बेंच ने सौम्या को यह राहत दी है।
कोर्ट ने सौम्या द्वारा जेल में बिताए गए समय और केस में अभी तक आरोप तय नहीं होने पर यह फैसला सुनाया है। सौम्या पर कोयला घोटाले में शामिल होने का आरोप है और वह पिछले एक साल नौ महीने से जेल में बंद थीं।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी साफ किया है कि अंतरिम जमानत मिलने पर भी छत्तीसगढ़ सरकार सौम्या को उनके पद पर बहाल नहीं करेगी।
अगले आदेश तक उनका निलंबन जारी रहेगा। शीर्ष अदालत ने बिना आरोप तय किए आरोपियों को जेल में बंद रखने और ED के कम सजा दर पर नाराजगी जताई है।
जस्टिस भुयान ने कहा, ‘बिना आरोप तय किए आप किसी को कब तक जेल में रख सकते हैं? PMLA केस में सजा की दर क्या है? संसद में उन्होंने कहा कि सिर्फ 41 मामलों में ही सजा हुई है।’ जस्टिस भुयान ने ED से यह भी पूछा कि क्या वह किसी आरोपी को सालों तक जेल में रख सकता है?
सौम्या चौरसिया की तरफ से सीनियर ऐडवोकेट सिद्धार्थ दवे, ऐडवोकेट पल्लवी शर्मा और हर्षवर्धन पनगनिहा ने दलीलें पेश की जबकि ईडी का पक्ष अडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने रखा।
इससे पहले छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने 28 अगस्त को चौरसिया की तीसरी जमानत अर्जी को खारिज कर दिया था। वह दिसंबर 2022 से जेल में थीं। हाई कोर्ट से जमानत अर्जी खारिज होने के बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था।
ED के मुताबिक, 16 महीनों में कुल 500 करोड़ रुपये का घपला हुआ था। केंद्रीय एजेंसी का दावा है कि इन पैसों का इस्तेमाल चुनाव फंड करने और रिश्वत के तौर पर हुआ।
दूसरी तरफ चौरसिया ने आरोपों को निराधार बताते हुए कहा कि कथित घोटाले में उनके शामिल होने का कोई ठोस सबूत नहीं है। उनके पास से कोई पैसा भी रिकवर नहीं हुआ है। पिछले साल 14 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने सौम्या चौरसिया को जमानत देने से इनकार कर दिया था।