मुंबई। महाराष्ट्र मंत्रिमंडल में शामिल न किए जाने से एनसीपी के वरिष्ठ नेता छगन भुजबल बेहद नाराज हैं। छगन भुजबल ने बुधवार को अपने चुनाव क्षेत्र नासिक के येवला में समर्थकों की बैठक बुलाई। इस बैठक को बहुत अहम माना जा रहा है।
इसमें उन्होंने समता परिषद के कार्यकर्ता और ओबीसी समाज के लोगों को भी बुलाया। छगन भुजबल ने बैठक में साफ किया कि वह मंत्री पद के लिए लड़ेंगे। उनके इस फैसले से महाराष्ट्र की सियासत में हलचल मच सकती है।
मीटिंग में छगन भुजबल ने कहा कि हम वे लोग हैं जो शून्य से लड़कर निर्माण करते हैं। इसलिए, हम फिर से लड़ेंगे, यह लड़ाई मंत्री पद के लिए नहीं बल्कि पहचान के लिए है। आपने कई मंत्रालयों में काम किया है। हम 40 से अधिक वर्षों से काम कर रहे हैं। इसलिए यह कोई मुद्दा नहीं है।
यह लड़ाई हमारी है। इसलिए सभी को मिलकर काम करना चाहिए। हम लोगों को विश्वास में लिए बिना कोई निर्णय नहीं लेंगे। येवला-लासलगांव विधानसभा क्षेत्र के सभी लोगों ने बहुत मेहनत की और मुझे पांचवीं बार मौका दिया। इसके लिए धन्यवाद। हमें क्षेत्र के विकास के लिए मिलकर काम करना होगा।
छगन भुजबल ने इशारों में अजित पवार पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि क्या मैं आपके हाथों का खिलौना हूं? क्या आपको लगता है कि जब भी आप मुझे कहेंगे, मैं खड़ा हो जाऊंगा और चुनाव लड़ूंगा, जब भी आप मुझे कहेंगे मैं बैठ जाऊंगा?
शपथ ग्रहण से कुछ समय पहले हटा छगन भुजबल का नाम!
छगन भुजबल ने दावा किया है कि देवेंद्र फडणवीस उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल करना चाहते थे। उनका नाम भी मंत्रिमंडल की लिस्ट में था। अचानक अंतिम क्षण में उनका नाम हटा दिया गया। उन्होंने कहा कि मंत्रिमंडल से मेरा नाम किसने हटाया, मैं यह पता कर रहा हूं। छगन भुजबल की नाराजगी इतनी ज्यादा है कि वह नागपुर का शीतकालीन सत्र छोड़कर नासिक पहुंच गए हैं।
अजित पवार से दूरी!
अजित पवार ने शरद पवार से बगावत कर एनसीपी तोड़ी थी, तब छगल भुजबल अजित पवार के सबसे बड़े समर्थक बनकर सामने आए थे। छगन भुजबल ने कहा कि वह मंत्री नहीं बनाए जाने से नाराज या निराश नहीं हैं, लेकिन उनके साथ जिस तरह का व्यवहार किया गया, उससे वह अपमानित महसूस कर रहे हैं।
छगन के समर्थन में आए जितेंद्र आव्हाण
जितेंद्र आव्हाड ने कहा कि महाराष्ट्र मंत्रिपरिषद में छगन भुजबल को शामिल न करना उनके राजनीतिक करियर को खत्म करने के लिए लिया गया है। उन्होंने कहा कि लेकिन वह (छगन भुजबल) ऐसे व्यक्ति हैं, जो आसानी से झुकने वाले नहीं हैं।
उनके साथ अन्याय हुआ है। उनकी उम्र, स्वभाव और संघर्ष को देखते हुए उन्हें न्याय मिलना चाहिए था। आव्हाड ने कहा कि भुजबल को एहसास हो गया होगा कि उनके खिलाफ साजिश किसने रची।
शरद पवार के कहे जाते थे विश्वासपात्र
खास बात है कि छगन भुजबल को शरद पवार का विश्वासपात्र माना जाता था लेकिन वह बगावत होने के बाद अजित पवार संग चले गए। यह शरद पवार के लिए बड़ा झटका था। ओबीसी समुदाय के मजबूत नेता माने जाने वाले भुजबल, एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली पिछली सरकार में मंत्री थे।
भुजबल पर राउत का तंज
शिवसेना (UBT) नेता संजय राउत ने कहा कि जब मनोज जरांगे ने ओबीसी श्रेणी के तहत मराठा समुदाय को आरक्षण देने की मांग के लिए प्रदर्शन किया तो भुजबल ने अतिवादी कदम उठाया। भुजबल के पीछे की अदृश्य शक्ति ने अब उन्हें अपने हाल पर छोड़ दिया है।
उन्होंने आरोप लगाया कि भुजबल पर उसी अदृश्य शक्ति ने हमला किया है, जिसने अविभाजित शिवसेना को विभाजित करने में एकनाथ शिंदे का समर्थन किया था। राउत ने कहा कि भले ही भुजबल नखरे दिखाएं, लेकिन यह देखना होगा कि उनमें मानसिक और शारीरिक शक्ति कितनी बची है।
उन्होंने कहा कि कुछ विधायक मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिलने के कारण आंसू बहा रहे हैं लेकिन उन्हें शांत कर दिया जाएगा। वे रोएंगे, लेकिन अंत में चुप हो जाएंगे, क्योंकि एक या दो विधायकों के नाराज होने से राज्य सरकार को कोई खतरा होने की संभावना नहीं है। वे कुछ समय तक रोएंगे, लेकिन उन्हें शांत कर दिया जाएगा।