आगरा की उटंगन नदी में 13 लोगों की डूबने की घटना के लिए ग्रामीणों ने पुलिस प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया है। उनका आरोप है कि नदी में खनन होता रहा और अधिकारी सोते रहे। इससे कई लोगों की जान चली गई। यदि पहले से अधिकारी सचेत रहे होते तो यह हादसा नहीं होता।
गांव के बनवारी लाल ने बताया कि उटंगन नदी राजस्थान से निकलती है। इसके बाद यमुना में मिल जाती है। इसमें पानी कम रहता है। इस वजह से लोग नहाने के लिए चले जाते हैं। जब पानी कम होता है, तब खनन करने वाले आते हैं। वह बुलडोजर से मिट्टी को निकालते हैं। इस वजह से नदी में कई जगह पर गड्ढे हो गए हैं।
नदी नजदीक होने की वजह से लोग विसर्जन करने जाते हैं। गांव के रिंकू ने बताया कि नदी में अवैध खनन किया जाता है। पानी कम होने पर रात के समय मिट्टी निकाली जाती है। इस वजह से नदी के बड़े भाग में गड्ढे हो गए हैं। इसी तरह राज कुमार का कहना था कि लोग प्रतिमा विसर्जन करने गए थे। उन्हें नहीं पता था कि गड्ढे कहां पर हैं। इसी वजह से हादसा हो गया।
शहर में भी गड्ढे ले चुके जान
शहर में खनन के गड्ढे कई बार यमुना में नहाने के लिए गए लोगों की जान ले चुके हैं। पिछले पांच साल में दो दर्जन से अधिक लोगों की जान जा चुकी है। पूर्व में सिकंदरा और एत्माउद्दाैला क्षेत्र में खनन की शिकायत मिलती थी। मगर कमिश्नरेट बनने के बाद खनन पर सख्ती से कार्रवाई गई। इसके बावजूद खनन की वजह से बने गड्ढे कई बार जान ले चुके हैं।
अवैध खनन के लिए पुलिस प्रशासन जिम्मेदार
राज्यसभा सांसद रामजीलाल सुमन ने कहा कि घटना दुखद है। नदियों को अवैध खनन करने वालों ने खोखला कर दिया। प्रशासन और पुलिस मिलकर अवैध खनन कराते हैं। नदी का प्रवाह कम है। इसके बावजूद लापता लोगों का न मिलना चिंता का विषय है। इससे पता चलता है कि खनन के गड्ढे काफी गहरे हो गए हैं। घटना के लिए स्थानीय प्रशासन दोषी हैं। घटना के बाद राहत का जो काम होना चाहिए, वो भी नहीं हो पाया।

