नई दिल्ली/पुणे। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने आतंकवाद पर दो टूक शब्दों में कहा कि 2014 के बाद से भारत की विदेश नीति में बदलाव आया है और आतंकवाद से निपटने का यही तरीका है। उन्होंने कहा कि आतंकवादी नियमों से नहीं खेलते तो फिर पलटवार नियमों के तहत कैसे होगा। एस जयशंकर पुणे में ‘भारत क्यों मायने रखता हैः युवाओं के लिए अवसर और वैश्विक परिदृश्य में भागीदारी’ शीर्षक से एक कार्यक्रम में शामिल हुए थे। यहां उन्होंने मौजूद युवाओं से बातचीत की।
किसी भी हालत में आतंकवाद को स्वीकार नहीं किया जा सकता
विदेश मंत्री जयशंकर से कार्यक्रम के दौरान पूछा गया कि भारत को किन देशों के साथ संबंध बनाए रखना मुश्किल लगता है? जयशंकर ने कहा कि एक, पाकिस्तान, पड़ोस में है और इसके लिए केवल हम ही जिम्मेदार हैं। 1947 में पाकिस्तान ने कश्मीर पर हमला किया था। देश के विदेश मंत्री ने बताया कि 1947 में, पाकिस्तान ने कश्मीर पर हमला किया था। भारतीय सेना ने उनका मुकाबला किया और राज्य का भारत में विलय हो गया।
उन्होंने आगे कहा कि जब भारतीय सेना कार्रवाई कर रही थी, तब हम रुक गए और संयुक्त राष्ट्र (UN) में गए और हमलावरों को आतंकवादियों के बजाय कबायली घुसपैठिए बताया। अगर हम शुरू से ही यह स्पष्ट कर देते कि पाकिस्तान आतंकवाद का इस्तेमाल कर रहा है, तो हमारी नीति बहुत अलग होती। उन्होंने यह भी कहा कि, किसी भी हालत में आतंकवाद को स्वीकार नहीं किया जा सकता।
जयशंकर ने आगे कहा कि हमें अपने मन में बहुत स्पष्ट होना होगा। किसी भी स्थिति में आतंकवाद स्वीकार्य नहीं है। यदि कोई पड़ोसी या कोई भी बातचीत की मेज पर लाने के लिए आतंकवाद का उपयोग करता है, तो इसे कभी भी स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए।
भारत की विदेश नीति पर क्या बोले जयशंकर?
भारत की विदेश नीति में निरंतरता के बारे में पूछे जाने पर जयशंकर ने कहा कि मेरा जवाब हां है। 50 प्रतिशत निरंतरता है और 50 प्रतिशत परिवर्तन है। वह एक बदलाव आतंकवाद पर है। उन्होंने कहा कि मुंबई हमले के बाद, एक भी व्यक्ति ऐसा नहीं था जिसे लगा कि हमें जवाब नहीं देना चाहिए था। लेकिन उस समय यह सोचा गया था कि पाकिस्तान पर हमला करने की कीमत पाकिस्तान पर हमला नहीं करने से ज्यादा है।
जयशंकर ने कहा कि अगर मुंबई (26/11) जैसा कुछ होता है और कोई प्रतिक्रिया नहीं देता है तो कोई अगले हमले को कैसे रोक सकता है। उन्होंने कहा कि आतंकवादियों को यह महसूस नहीं होना चाहिए कि वे सीमा पार हैं, कोई उन्हें छू नहीं सकता। आतंकवादी किसी भी नियम से नहीं खेलते हैं इसलिए आतंकवादियों को जवाब देने के लिए कोई नियम नहीं हो सकते।