देहरादून। उत्तराखंड में अवैध रूप से चल रहे मदरसों में कहीं पढ़ाई करने वाले छात्रों को बहकाया तो नहीं जा रहा है। अवैध रूप से संचालित होने वाले मदरसों को फंडिंग आखिर कहां से आ रही है? इन तमाम बिंदुओं पर अब पुलिस की ओर से जांच की जाएगी।
पिछले दिनों सीएम पुष्कर सिंह धामी ने अवैध रूप से संचालित मदरसों की जांच कराने का आदेश दिया था। इसके लिए पुलिस मुख्यालय को निर्देश जारी किए गए। सीएम के निर्देश पर पुलिस मुख्यालय ने प्रदेश के सभी जिला इकाईयों को दिशा-निर्देश जारी किया गया है।
उत्तराखंड राज्य पुलिस मुख्यालय (PHQ) ने सभी जिला पुलिस इकाइयों को मदरसों की जांच की कार्रवाई का निर्देश दिया है। अवैध मदरसों की पहचान करने के लिए पत्र लिखा है।
पुलिस मुख्यालय के सूत्रों ने बताया कि करीब एक सप्ताह पहले 13 जिलों के सभी एसएसपी और एसपी को पत्र भेजा गया था। इसके तहत सभी मदरसों का सत्यापन कराया जाना है। वेरिफिकेशन में फर्जी तरीके से चल रहे मदरसों के बारे में जानकारी सामने आएगा।
पहले चरण में क्या होगा?
मदरसों के वेरिफिकेशन अभियान के पहले चरण में जिला पुलिस की स्थानीय खुफिया इकाइयां (LIU) मदरसों की पहचान करने और उनके वित्त पोषण का पता लगाने के लिए इनपुट एकत्र करेंगी।
इसके बाद, प्रत्येक जिलास्तर पर एक महीने के भीतर एक सूची तैयार की जाएगी और फिर अल्पसंख्यक मामलों के विभाग की ओर से आगे की कार्रवाई के लिए पुलिस मुख्यालय के साथ साझा की जाएगी।
प्रदेश में हैं 415 रजिस्टर्ड मदरसे
राज्य मदरसा बोर्ड के अनुसार, उत्तराखंड में करीब 415 पंजीकृत मदरसे हैं, जिनमें करीब 50,000 छात्र नामांकित हैं। अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (प्रशासन) एपी अंशुमान ने बताया कि सरकार के निर्देशों के अनुसार, हम इस मामले में उचित कदम उठा रहे हैं। इस संबंध में जिला पुलिस इकाइयों से बातचीत की गई है। उन्हें जिला स्तर पर अवैध संस्थानों के बारे में जानकारी जुटाने को कहा गया है।
पुलिस ने पहले राज्य के सभी मदरसों की ‘विस्तृत जांच’ शुरू की, जिसका उद्देश्य तीन मुख्य क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करना था- मदरसों का पंजीकरण, वित्त पोषण का स्रोत और संस्थानों में पढ़ने वाले अन्य राज्यों के छात्रों का विवरण। सीएम के अब राज्य में मदरसा की गतिविधियों पर नजर रखने के आदेश के बाद यह कार्रवाई हो रही है।