इस्लामाबाद। बलूचिस्तान में अलगाववादी संगठन बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA) के हमले के बाद पाकिस्तानी अपनी नाकामी का ठीकरा भारत और अफगानिस्तान पर फोड़ रहा है। पाकिस्तान की सेना और विदेश विभाग ने भारत पर बेबुनियाद आरोप लगाया कि वह विद्रोहियों के आजादी आंदोलन को समर्थन दे रहा है।
पाकिस्तान ने तो यहां तक कहा कि बलूचिस्तान में ट्रेन हाईजैक के पीछे भी भारत था, जिसे नई दिल्ली ने सख्ती से खारिज कर दिया। भारत ने कहा है कि दुनिया जानती है कि आतंकवाद का केंद्र कहां है।
बलूचिस्तान बनना क्या फायदेमंद?
इस बीच बलूचिस्तान में बढ़ती हिंसा को लेकर पाकिस्तान में बहस तेज हो गई है। एक सवाल उठने लगा है कि क्या वास्तव में भारत बलूचिस्तान को आजाद कराने की योजना बना रहा है?
इस पर पाकिस्तानी पत्रकार रउफ कलासरा ने अपनी राय रखी है। कलासरा ने कहा कि बलूचिस्तान को आजाद कराना किसी के हित में नहीं है। अफगानिस्तान और भारत किसी के भी लिए आजाद बलूचिस्तान का बनना मुफीद नहीं है।
बांग्लादेश और बलूचिस्तान में तुलना
कलासरा ने आगे कहा कि बलूचिस्तान भारत के लिए पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) की तरह नहीं है। बांग्लादेश में स्थितियां इसलिए अलग थीं, क्योंकि वह भारत के बॉर्डर पर था, जबकि पाकिस्तान के लिए एक लंबी दूरी थी।
बलूचिस्तान में स्थिति उलट है। बलूचिस्तान में भारत के लिए पहुंचना मुश्किल है। बलूचिस्तान के अलगाववादी आंदोलन को जब तक बाहर से मदद नहीं मिलती, इसका अलग मुल्क बनना संभव नहीं है।
पाकिस्तानी एक्सपर्ट ने यह भी कहा कि भारत ही नहीं, अफगानिस्तान और ईरान भी अपने बॉर्डर पर एक नया देश नहीं चाहेंगे। ईरान में बलूचों की आबादी है और वहां भी अलगाववाद की हवा बह सकती है। इसलिए बलूचिस्तान में एक हिंसक और खूनी संघर्ष तो जारी रह सकता है लेकिन इसका एक अलग देश बन पाना आसान नहीं है।