नई दिल्ली। अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत एक के बाद एक नई उपलब्धियां हासिल कर रहा है। अब केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने बड़ा एलान किया है। उन्होंने बताया कि 2035 तक भारत का अपना अंतरिक्ष स्टेशन होगा।
केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘हम 2035 तक अपना खुद का अंतरिक्ष स्टेशन बनाने जा रहे हैं। इसे भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (BAS) के नाम से जाना जाएगा। इसके अलावा, 2040 तक हम एक भारतीय को चंद्रमा पर उतार सकते हैं।’
पीएम मोदी ने फरवरी में किया था एलान
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 27 फरवरी को तिरुवनंतपुरम में गगनयान मिशन के अंतरिक्ष यात्रियों के नामों की घोषणा करने के बाद कहा था कि 2035 तक भारत के पास अपना अंतरिक्ष स्टेशन होगा। अब उनका यह सपना जल्द साकार होता दिख रहा है।
बता दें, अभी तक दुनिया में सिर्फ दो ही अंतरिक्ष स्टेशन हैं और अगर भारत वाकई अपना अंतरिक्ष स्टेशन बनाता है, तो ये ना सिर्फ ऐतिहासिक उपलब्धि होगी, बल्कि भारत दुनिया का तीसरा ऐसा देश बन जाएगा, जिसके पास अपना अंतरिक्ष स्टेशन होगा।
BAS के लिए योजनाओं का अनावरण किया
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (BAS) के लिए योजनाओं का अनावरण किया है, जो भारत का पहला अंतरिक्ष स्टेशन बनने के लिए तैयार है।
52 टन वजनी BAS शुरू में तीन अंतरिक्ष यात्रियों की मेजबानी करेगा। हालांकि, भविष्य में इसकी क्षमता छह तक बढ़ाने की योजना है। बंगलूरू के यूआर राव सैटेलाइट सेंटर में आयोजित कन्नड़ तकनीकी संगोष्ठी में यह प्रमुख जानकारी सामने आई है।
भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (BAS) क्या है?
BAS एक मॉड्यूलर स्पेस स्टेशन है जिसे भारत द्वारा जीवन विज्ञान, चिकित्सा जैसे क्षेत्रों में वैज्ञानिक अनुसंधान का समर्थन करने और अंतरिक्ष अन्वेषण को बढ़ाने के लिए विकसित किया जा रहा है।
इसका पहला मॉड्यूल 2028 में LVM3 लॉन्च वाहन द्वारा लांच हो जाने की उम्मीद है, यानि हल्के तौर पर भारत का काम चार साल बाद अंतरिक्ष में अपने इस स्टेशन के जरिए शुरू हो जाएगा। लेकिन पूरी तरह से भारत का ये अंतरिक्ष स्टेशन 2035 में पूरा होगा, जब इसके दूसरे मॉडयूल्स सेट कर दिए जाएंगे।
क्या होता है अंतरिक्ष स्टेशन?
अंतरिक्ष स्टेशन असल में एक अंतरिक्ष यान है, जो काफी लंबे समय तक अंतरिक्ष में रहने में सक्षम होता है, लिहाजा इसे अंतरिक्ष का घर कहा जा सकता है। ये एक कृत्रिम उपग्रह होता है, जहां पर अंतरिक्ष यात्रियों के रुकने, स्पेसक्राफ्ट के ठहरने के लिए डॉकिंग पोर्ट होता है।
अंतरिक्ष स्टेशन अक्सर वैज्ञानिक उद्देश्यों के लिए लॉन्च किए गए हैं, लेकिन यहां से सैन्य प्रक्षेपण भी हुए हैं, लिहाजा स्पेस स्टेशन का महत्व काफी ज्यादा है।
अभी तक दुनिया के पास एक ही इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन था, जिसे नासा ने कई देशों के साथ मिलकर तैयार किया था। लेकिन, अब चीन ने भी अपना अंतरिक्ष स्टेशन तैयार कर लिया है।
इसलिए अब अंतरिक्ष में दो अंतरिक्ष स्टेशन हो गए हैं। अगर भारत अपना अंतरिक्ष स्टेशन बना लेता है, तो ऐसा करने वाला वो तीसरा देश होगा, जिसका नाम ‘भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन’ (BAS) रखा गया है।
BAS महत्वपूर्ण क्यों है?
BAS भविष्य के अंतरिक्ष मिशनों के लिए सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण, मानव स्वास्थ्य और जीवन-निर्वाह प्रौद्योगिकियों पर अध्ययन की अनुमति देगा। यह भारत को अंतरिक्ष अभियानों में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में स्थापित करेगा।
अमेरिका और चीन जैसे देश पहले से ही अंतरिक्ष में अपने अंतरिक्ष यात्री भेज रहे हैं। अब भारत का नाम भी इसमें शामिल हो जाएगा। इस परियोजना का उद्देश्य युवा वैज्ञानिकों को प्रेरित करना और अंतरिक्ष में नई व्यावसायिक संभावनाएं पैदा करना है।
ISRO की उपलब्धियों में एक और उपलब्धि
इसरो ने चंद्रयान-1 के साथ चंद्रमा पर पानी की खोज से लेकर चंद्रयान-3 के साथ चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास उतरने तक, उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल की हैं। बीएएस इसरो की विरासत में एक और गौरवपूर्ण उपलब्धि जोड़ेगा, जो वैश्विक अंतरिक्ष अन्वेषण में भारत की जगह को और मजबूत करेगा।