नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर विधानसभा में विशेष राज्य का दर्जा वापस लाने की मांग वाले प्रस्ताव के बाद, कांग्रेस एक मुश्किल स्थिति में फंस गई है। जम्मू-कश्मीर में उसकी सहयोगी और सत्तारूढ़ पार्टी नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) इस प्रस्ताव का समर्थन कर रही है। कांग्रेस इस मांग को पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने से जोड़ना चाहती है, लेकिन अनुच्छेद 370 का मुद्दा नहीं उठाना चाहती।
दरअसल कांग्रेस, नेशनल कॉन्फ्रेंस और कश्मीर की दूसरी पार्टियों को नाराज नहीं करना चाहती। वहीं दूसरी तरफ, उसे महाराष्ट्र और झारखंड जैसे राज्यों में होने वाले चुनावों में BJP के हमलों से भी बचना है। यह दोहरी मजबूरी कांग्रेस के लिए एक बड़ी चुनौती बन गई है।
जम्मू-कश्मीर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष तारिक हमीद कर्रा ने गुरुवार को श्रीनगर से फोन पर कहा कि कांग्रेस पार्टी विधानसभा की ओर से बुधवार को पारित प्रस्ताव का स्वागत करती है।
कर्रा ने कहा कि यह प्रस्ताव जम्मू और कश्मीर के लोगों की भावनाओं और आकांक्षाओं को दर्शाता है। उन्होंने आगे कहा कि ‘जम्मू-कश्मीर के विशेष राज्य का दर्जा बहाल करने का मतलब जम्मू-कश्मीर के पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करना है, न कि अनुच्छेद 370 की बहाली।’
‘कांग्रेस पार्टी इस बारे में स्पष्ट है कि…’
जम्मू-कश्मीर के विशेष राज्य का दर्जे की बहाली के लिए विधानसभा प्रस्ताव के बारे में पूछे जाने पर हमीद कर्रा ने कहा, ‘कांग्रेस पार्टी इस बारे में स्पष्ट है। जब संसद में अनुच्छेद 370 को निरस्त किया गया था, तो कांग्रेस ने इसका पुरजोर विरोध किया था।’
उन्होंने आगे कहा, ‘लेकिन, एक बार जब सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला (अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को बरकरार रखते हुए) दे दिया, तो केवल जम्मू-कश्मीर के लिए पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग की जानी बाकी है।’
कांग्रेस क्या चाहती है?
यह पूछे जाने पर कि अनुच्छेद 370 को बहाल किए बिना जम्मू-कश्मीर के लिए विशेष राज्य का दर्जा कैसे बहाल किया जा सकता है, कर्रा ने कहा, ‘कृपया ध्यान दें कि विधानसभा में पेश किए गए प्रस्ताव में अनुच्छेद 370 का कोई उल्लेख नहीं किया गया है। भाजपा जानबूझकर अपने तुच्छ राजनीतिक प्रचार के लिए इसका गलत अर्थ निकाल रही है।
विशेष राज्य का दर्जा बहाल करने का मतलब जम्मू-कश्मीर के लिए पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करना है और रोजगार और भूमि के संबंध में जम्मू-कश्मीर के लोगों के विशेष अधिकारों और कानूनों को बहाल करना है और उनकी सांस्कृतिक पहचान और प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा करना है। नौकरियों और जमीन के लिए ऐसे कानून (राज्य के लोगों के लिए) लगभग 16 अन्य राज्यों में पहले से मौजूद हैं।’