नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव में एनडीए को बहुमत मिलने के बाद मोदी ने बीते दिन पीएम पद की शपथ ली। मोदी के साथ उनके 72 मंत्रियों ने भी शपथ ली। कैबिनेट की शपथ के बाद अब विभागों के बंटवारों को लेकर बैठकें होने वाली है, जिसके बाद पता चलेगा कि किसको कौन सा पोर्टफोलियो मिलने वाला है।
हालांकि, एक और सवाल सबसे अहम हो गया है कि इस बार लोकसभा अध्यक्ष पद किसे मिलेगा। कई रिपोर्टों में ये सामने आया है कि एनडीए के सबसे बड़े दल और किंगमेकर कही जाने वाली पार्टियां टीडीपी और जेडीयू दोनों ही इस पद की मांग भाजपा से कर चुके हैं। भाजपा दूसरी ओर इसे किसी को भी देने की इच्छुक नहीं है।
TDP और JDU की अध्यक्ष पद पर नजर
टीडीपी प्रमुख चंद्रबाबू नायडू और जेडीयू अध्यक्ष नीतीश कुमार स्पीकर का पद राजनीतिक ‘बीमा’ के तौर पर देख रहे हैं। दरअसल, पिछले कुछ सालों में सत्तारूढ़ दलों के भीतर विद्रोह के कई मामले सामने आए, जिसके चलते पार्टियों में ही विभाजन देखने को मिला है और कई जगह राज्य सरकारें भी गिर गईं।
ऐसे मामलों में दलबदल विरोधी कानून लागू होता है और यह कानून सदन के अध्यक्ष को बहुत शक्तिशाली स्थिति देता है। कानून के अनुसार, सदन के अध्यक्ष के पास दलबदल के आधार पर सदस्यों की अयोग्यता से संबंधित मामलों पर निर्णय लेने का अधिकार होता है। यही वजह है कि दोनों नेता इस पद पर नजर गढ़ाए हैं।
क्यों अहम है अध्यक्ष पद?
लोकसभा अध्यक्ष का पद काफी पेचीदा है, सदन को चलाने के लिए अध्यक्ष पद गैर-पक्षपाती माना जाता है, लेकिन इसे विशेष पार्टी के प्रतिनिधि ही चुनाव जीतने के बाद पद संभालते हैं। यहां तक की कांग्रेस के दिग्गज नेता एन संजीव रेड्डी ने चौथी लोकसभा के अध्यक्ष चुने जाने के बाद कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था, जिसके बाद से इस पद पर सभी की निगाहें रहती है।