प्रयागराज। इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस शेखर कुमार यादव सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के सामने पेश हुए। विश्व हिंदू परिषद के कार्यक्रम में कथित तौर पर विवादित बयान देने का आरोप जस्टिस यादव पर लगा था। इस मामले में उन्होंने सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के सामने अपनी सफाई दी।
सूत्रों के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस संजीव खन्ना की अगुआई वाली कॉलेजियम के सामने जस्टिस यादव ने अपने बयान पर बड़ी बात कही। सूत्रों के हवाले से आ रही मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, जस्टिस यादव ने अपने बयान का संदर्भ न समझे जाने की बात कही है।
कॉलेजियम के सामने दी सफाई
सुप्रीम कोर्ट की कॉलेजियम के सामने दी गई सफाई को लेकर आई मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, जस्टिस ने भाषण को लेकर रुख स्पष्ट किया। इलाहाबाद हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के सभागार में दिए गए भाषण पर उन्होंने कहा कि उनके भाषण को पूरे संदर्भ में नहीं समझा गया। भाषण के कुछ हिस्सों को उठाकर विवाद पैदा किया गया है। सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की ओर से अब इस मामले में फैसला दिया जाएगा। इस पर हर किसी की नजर रहेगी।
कॉलेजियम ने दी नसीहत
चीफ जस्टिस संजीव खन्ना के नेतृत्व वाली कॉलेजियम ने जस्टिस यादव को नसीहत दी। कॉलेजियम ने जस्टिस यादव को याद दिलाया कि जज का कोई बयान निजी नहीं होता है। संवैधानिक मानदंडों के हिसाब से ही अपनी बात रखनी चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट की कॉलेजियम की ओर से जस्टिस यादव का पक्ष भी गंभीरता से सुना गया है।सुप्रीम कोर्ट के पांच सीनियर जस्टिस की टीम से जस्टिस शेखर कुमार यादव ने मुलाकात की। कॉलेजियम में चीफ जस्टिस संजीव खन्ना के साथ जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस बीआर गवई और अन्य दो जज शामिल हैं।
कोर्ट ले सकता है ये फैसला
जस्टिस शेखर यादव के विवादित बयान मामले में सुप्रीम कोर्ट कई एक्शन पर विचार कर रहा है। कोर्ट के सामने उनका तबादला किए जाने का विकल्प है। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट उन्हें न्यायिक काम देने पर रोक लगा सकती है। साथ ही, उनके खिलाफ महाभियोग की सिफारिश का विकल्प भी सुप्रीम कोर्ट के पास है।
दरअसल, संविधान के मुताबिक, हाई कोर्ट के जस्टिस को हटाने की शक्ति सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के पास नहीं है। इसलिए कोर्ट के फैसले पर हर किसी की नजर टिक गई है।
SC ने लिया था संज्ञान
सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस शेखर कुमार यादव के बयान को लेकर मीडिया में चल रही खबरों पर संज्ञान लिया था। इलाहाबाद हाई कोर्ट से इस मामले में विस्तृत जानकारी मांगी गई थी।
मानदंड के मुताबिक, जिस जस्टिस के खिलाफ कॉलेजियम की ओर से विवादास्पद मुद्दे पर हाई कोर्ट से रिपोर्ट मांगी जाती है, उन्हें भारत के चीफ जस्टिस की अगुआई वाले कॉलेजियम के सामने पेश होना पड़ता है।