नई दिल्ली। कर्नाटक के स्वास्थ्य मंत्री दिनेश गुंडू राव के बयान पर सियासी बवाल शुरू हो गया है। दरअसल, एक पुस्तक के कन्नड़ संस्करण के विमोचन के अवसर पर मंत्री ने दावा किया कि वीर सावरकर मांसाहारी थे। उन्होंने गोहत्या का विरोध नहीं किया।
सावरकर चितपावन ब्राह्मण होने के बावजूद ‘गोमांस’ खाते थे। अब उनके इसी बयान पर हंगामा मच गया। भाजपा ने इस मुद्दे पर कांग्रेस पर निशाना साधा। वहीं सावरकर के पोते ने मंत्री के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दर्ज कराने की बात कही है।
सामने आया कांग्रेस का असली चेहरा: रंजीत सावरकर
मंत्री के बयान पर वीर सावरकर के पोते रंजीत सावरकर ने कांग्रेस को घेरा। उन्होंने मंत्री दिनेश गुंडू राव के खिलाफ मानहानि का मामला दर्ज कराने का एलान किया।
रंजीत ने कहा कि सावरकर को बदनाम करना कांग्रेस की रणनीति है। खासकर चुनाव के वक्त में। चुनाव जीतने की खातिर कांग्रेस हिंदुओं को जातियों में बांटना चाहती है।
यही अंग्रेजों की फूट डालो और राज करो नीति थी। पहले राहुल गांधी सावरकर के खिलाफ बयान देते थे। अब उनके नेता बयान दे रहे हैं। कांग्रेस ने अब अपना असली चेहरा दिखा दिया है।
मंत्री का बयान बिल्कुल झूठ
रंजीत ने कहा कि मंत्री का बयान बिल्कुल झूठ है। मराठी में लिखे उनके मूल लेख का मतलब था कि गाय बहुत उपयोगी हैं। इसीलिए उन्हें देवता माना जाता है। वह गौ रक्षा सम्मेलन के अध्यक्ष भी थे। मैं उनके खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर करने जा रहा हूं।
उन्होंने आगे दावा किया कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने हमेशा वीर सावरकर की नीतियों का पालन किया और कभी भी नेहरू या गांधी की एक भी नीति का पालन नहीं किया।
सावरकर के बारे में कांग्रेस कुछ नहीं जानती: फडणवीस
महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि कांग्रेसी वीर सावरकर के बारे में कुछ नहीं जानते हैं। वे बार-बार उनका अपमान करते हैं। सावरकर ने गायों पर अपनी राय बहुत अच्छी तरह से व्यक्त की थी।
उन्होंने कहा था कि एक किसान के जन्म से मृत्यु तक गाय मदद करती है। गायों को भगवान का दर्जा दिया गया है। सबसे पहले राहुल गांधी ने सावरकर पर इस तरह के झूठे बयान देने का सिलसिला शुरू किया। मुझे लगता है कि वे इसे आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं।
मानसिक संतुलन खो चुके: नकवी
भाजपा नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने भी कर्नाटक के मंत्री के बयान पर आपत्ति जताई। उन्होंने कहा, “इन लोगों का ऐसा ज्ञान साबित करता है कि वे अपना मानसिक संतुलन खो चुके हैं।
अगर वे ऐसा ज्ञान देते रहेंगे तो समाज उन्हें गंभीरता से नहीं लेगा। उन्हें किसी मानसिक संस्थान में जाना चाहिए और देश की महान हस्तियों के बारे में ज्ञान हासिल करना चाहिए।”