पटना। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने आरोप लगाया है कि भाजपा की तरह जदयू भी अब बिहार को विशेष राज्य दर्जा देने की मांग से पीछे हटने लगी है। इसीलिए इनके नेताओं की भाषा बदलने लगी है। अब वे बोल रहे हैं कि विशेष दर्जा नहीं तो विशेष पैकेज ही दे दिया जाए।
यह आरोप राजद की ओर से पार्टी के नेता चित्तरंजन गगन, मृत्यंजय तिवारी, सारिका पासवान, प्रमोद कुमार सिन्हा एवं अरुण यादव ने पार्टी कार्यालय में आयोजित एक प्रेस कांफ्रेंस में लगाया।
मोदी मॉडल से कुछ हासिल नहीं होने वाला
चितरंजन गगन ने कहा कि विशेष पैकेज का मतलब यदि मोदी मॉडल है तो इससे बिहार को कुछ विशेष हासिल होने वाला नहीं है। यह केवल बिहार वासियों को गुमराह करने की कवायद समझा जाएगा। उन्होंने कहा, लगभग 19 वर्षों से नीतीश कुमार बिहार के मुख्यमंत्री हैं। लगभग 16 साल से भाजपा बिहार सरकार में शामिल है और 10 वर्षों से केंद्र में एनडीए की सरकार है।
जदयू को केंद्र पर दबाव बनाने की जरूरत
प्रधानमंत्री द्वारा घोषित विशेष पैकेज भी बिहार को मिल चुका है, इसके बावजूद भी नीति आयोग द्वारा जारी इंडेक्स में बिहार सबसे निचले पायदान पर है। जदयू की मंशा बिहार के विकास के प्रति नियत साफ है तो उसे केंद्र पर दबाव बना कर बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिलवाने के लिए पहल करना चाहिए।
दोनों दलों ने साजिश के तहत विशेष राज्य का दर्जा नहीं मिलने दिया
नेताओं ने कहा कि हकीकत यह है कि बिहार बंटवारे के बाद इन दोनों दलों ने ही एक साजिश के तहत बिहार को विशेष राज्य का दर्जा और विशेष पैकेज नहीं मिलने दिया। जबकि बिहार पुनर्गठन कानून 2000 में ही स्पष्ट प्रविधान है कि बिहार की क्षति-पूर्ति के लिए विशेष प्रबंध किए जाएंगे।
उतराखंड और छत्तीसगढ़ के गठन संबंधी कानूनों में ऐसा कोई प्रविधान नहीं है। इसके बावजूद उन्हें विशेष राज्य का दर्जा दिया गया। नेताओं ने कहा बिहार को भी विशेष राज्य का दर्जा मिलना चाहिए।