महाकुंभ नगर। दोपहर के 1.14 बज रहे थे। अचानक तीन चेतक हेलिकॉप्टर संगम नोज के ऊपर से गुजरे। हेलिकॉप्टर का गुजरना तो सामान्य बात थी लेकिन तीनों हेलिकॉप्टर बहुत अलग थे और विशेष एंगल से बढ़े तो हर कोई उसे ध्यान से देखने लगा।
इसी दौरान दो एएन-32 विमान ने अरैल की ओर से प्रवेश किया और जैसे ही सेक्टर तीन के ऊपर आए गर्जना के बीच यह समझ में आ गया कि यह तो एयर शो हो रहा है। अभी आंखों से विमान ओझल ही हुए थे कि अचानक सुखोई की गर्जना से पूरा महाकुंभ क्षेत्र गूंजा उठा।
आसमान में शुरू हो गईं कलाबाजियां
आकाश में कलाबाजियां शुरू हो गईं। आकाश में वायुसेना का शौर्य और पराक्रम शुरू हो गया। आस्था और अध्यात्म के मेले में अचानक सेना के जांबाज पायलटों ने हवा में अपना कौशल दिखाना शुरू किया तो श्रद्धालु अचंभित हो उठे। भारत माता की जय जयकार होने लगी, हर हर महादेव व मां गंगे का जयघोष होने लगा, तालियां बजने लगीं…।
लोगों ने कैमरे में कैद किया पल
फाफामऊ की ओर जाते विमानों को देखकर लोग अपनी जगह पर ठिठक गए। हर किसी के हाथ में मोबाइल और कैमरे आ गए। वीडियो, फोटो बनाया जाने लगा। पूरा महाकुंभ क्षेत्र जय श्री राम, हर हर गंगे, हर हर महादेव के साथ मोदी-योगी के भी जयकारे से गूंजने लगा।
श्रद्धलुओं का किया अभिनंदन
रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता ग्रुप कैप्टन समीर गंगाखेडकर ने बताया कि उन्हें एयर शो के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। अचानक ही यह हुआ है। इसके जरिए महाकुंभ के अंतिम स्नान पर्व में शामिल श्रद्धालुओं का अभिनंदन किया गया है।
विदेशी संतों ने पढ़ाया सनातन और भारतीयता का पाठ
हिंदी नहीं बोल पाती लेकिन संस्कृत में श्लोक रटे हुए हैं। यज्ञ में आहूतियां डालते समय स्वयं से मंत्रोच्चार करती हैं। महाकुंभ और सनातन का अप्रतिम रूप देखिए विदेशी संत भारतीयों को भारतीयता का पाठ पढ़ा कर लौट रहे हैं। यहां उन्होंने उनको जागृत किया जो भारतीय ज्ञान परंपरा के जनक सुत है।
त्रिवेणी तट पर महाकुंभ के शुभारंभ से अंतिम दिवस तक भारतीय ज्ञान परंपरा की धारा बही। भारतीय संतों के साथ विदेशी संतों ने सनातन और भारतीयता का पाठ पढ़ाया।
इसमें शामिल रही तीन महामंडलेश्वर भी। चिली से आई महामंडलेश्वर देवी मां, टोक्यो जापान से आई महामंडलेश्वर राजेश्वरी मां व कोलोराडो यूएसए से आई महामंडलेश्वर ललिता श्री मां।
शिविर में आए 10 हजार श्रद्धालु
महाकुंभ क्षेत्र में साईं मां का शिविर में इनसे मिलने 10 हजार से अधिक श्रद्धालु आए। अब विदाई की बेला में उनके शब्द हैं कि महाकुंभ जैसा अध्यात्म स्वयं उन्होंने कभी महसूस नहीं किया था। धरती पर ऐसा कुछ हो सकता है इसकी कल्पना तक नहीं की जा सकती है। राजेश्वरी मां कहती हैं कि सनातन ने उन्हें नव जीवन दिया है।
घंटों ध्यान करने की आवश्यकता नहीं
श्रीदेवी मां कहती हैं कि आपको अधिक आध्यात्मिक होने या प्रतिदिन घंटों ध्यान करने की आवश्यकता नहीं है। आप अपने बच्चों से अधिक धैर्य रखिए, स्वयं के प्रति अधिक प्रेम करें।
अपने दैनिक जीवन में आप स्वयं को जीवित करिए। यूएसए के कोलोराडो की रहने वाली ललिता श्री मां स्कूली शिक्षा के दौरान सनातन और अध्यात्म से जुड़ गईं। बतौर शिक्षिका मनोविज्ञान पढ़ाती हैं।