रुद्रप्रयाग। केदारनाथ धाम पैदल मार्ग पर भूधंसाव के चलते रास्ता बंद हो गया है। जिस कारण यात्रा बाधित हुई है। करीब दो हजार से ज्यादा यात्रियों को रोका गया है।यह यात्री मार्ग खुलने का इंतजार कर रहे हैं।
पुलिस प्रशासन ने केदारनाथ धाम के लिए पैदल जाने वाले श्रद्धालुओं से अपील की है कि फिलहाल जहां पर हैं, वहीं पर सुरक्षित रहकर इंतजार करें। मार्ग सुचारु होने पर केदारनाथ से जंगलचट्टी के बीच वापस आ रहे श्रद्धालुओं को प्राथमिकता के आधार पर निकाला जा रहा है।
केदारनाथ धाम यात्रा का द्वितीय चरण
वर्तमान समय में जनपद में प्रचलित श्री केदारनाथ धाम यात्रा का द्वितीय चरण चल रहा है। मानसूनी बारिश लगभग समाप्ति की ओर है, इस बार हुई भारी बारिश के चलते समय-समय पर श्री केदारनाथ पैदल मार्ग काफी स्थानों पर क्षतिग्रस्त होता आया है।
10 से 15 मीटर मार्ग पूरी तरह से क्षतिग्रस्त
अब जबकि मानसूनी बारिश के लगभग समाप्त होने पर यात्रा के पूरी तरह से वापस पटरी पर लौटने के आसार नजर आ रहे थे, ऐसे में देर रात्रि को गौरीकुण्ड से केदारनाथ धाम तक जाने वाला पैदल मार्ग स्थान जंगल चट्टी के पास भू-धंसाव के चलते तकरीबन 10 से 15 मीटर पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया है।
शनिवार भोर काल से ही यात्रियों की सुरक्षा के दृष्टिगत इस स्थान पर स्थानीय पुलिस, एसडीआरएफ, एनडीआरएफ, डीडीआरएफ की टीमें मौजूद हैं। कार्यदायी संस्था पीडब्ल्यूडी के स्तर से वैकल्पिक स्थल चिन्हित कर वैकल्पिक मार्ग तैयार करने की दिशा में कार्यवाही युद्ध स्तर पर प्रारम्भ कर दी गयी है।
इस मार्ग के क्षतिग्रस्त होने की जानकारी मिलने पर सोनप्रयाग व गौरीकुण्ड क्षेत्र से किसी भी पैदल यात्री को केदारनाथ धाम पैदल मार्ग पर नहीं भेजा गया है। केदारनाथ धाम से नीचे की ओर आने वाले यात्रियों को भी फिलहाल जो जहां पर हैं, वहीं पर सुरक्षित रुकवाया जा रहा है। वैकल्पिक मार्ग तैयार होने पर पहले ऊपर से नीचे की ओर आ रहे यात्रियों को निकाला जायेगा।
लोग इस समय जहां पर हैं, वहीं सुरक्षित रहें
पुलिस ने अपील की है कि लोग इस समय जहां पर हैं, वहीं सुरक्षित रहें। यात्री सोनप्रयाग या गौरीकुण्ड पहुंचने की होड़ न रखें, क्योंकि सोनप्रयाग और गौरीकुण्ड क्षेत्र में यात्रियों के ठहरने की सुविधा सीमित है तथा इस क्षेत्र में पहले ही यात्री मौजूद हैं, जिनको कि फिलहाल वहीं पर रोका गया है। ऐसे में यात्रियों से अपील है कि वे फाटा, गुप्तकाशी, रुद्रप्रयाग, श्रीनगर इत्यादि स्थानों पर ठहरें या पहले उत्तराखंड के अन्य धामों की यात्रा करें।