लखनऊ। अवैध रूप से मतांतरण और विदेशी फंडिंग के मामले में दोषी पाए गए मौलाना कलीम सिद्दीकी समेत उसके 12 साथियों को एटीएस-एनआईए कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई है। कोर्ट ने मौलाना के चार अन्य साथियों को दस-दस साल की कैद से दंडित करते हुए अर्थदंड भी लगाया है।
मौलाना के सबसे करीबी सहयोगी हाफिज इदरीश की गिरफ्तारी पर हाई कोर्ट से रोक है इसलिए फिलहाल उसे कोई सजा नहीं सुनाई गई है। सजा सुनाए जाते समय कोर्ट में बड़ी संख्या में अधिवक्ता व मौलाना तथा उसके साथियों के समर्थक मौजूद थे।
हिंदू धर्म के लोगों को मुस्लिम समुदाय में शामिल कराने के इस खेल में हवाला के जरिये भी करोड़ों रुपये एजेंटों तक पहुंचाए गए थे। इस बेहद संगीन मामले में एटीएस की प्रभावी पैरवी का परिणाम रहा कि बुधवार को उमर व कलीम समेत 16 आरोपितों को सजा सुनाई गई।
मंगलवार को दोषी करार दिया था
ATS-NIA कोर्ट के विशेष न्यायाधीश विवेकानंद शरण त्रिपाठी ने सभी 16 आरोपियों को मंगलवार को ही दोषी करार दे दिया था। बुधवार को उन्होंने दोषियों को सजा सुनाई। कोर्ट ने मौलाना के सहयोगी श्याम प्रताप सिंह उर्फ मौलाना उमर गौतम को भी उम्रकैद की सजा सुनाई है, जिसकी गिरफ्तारी के बाद ही मौलाना का नेटवर्क सामने आया था।
मूल रूप से फतेहपुर का रहने वाला श्याम हिंदू से मुस्लिम बनने के बाद मतांतरण कराने में सक्रिय था। गौतमबुद्धनगर में उमर गौतम की गिरफ्तारी के बाद एटीएस ने मुजफ्फरनगर के फुलत कस्बे निवासी मौलाना कलीम सिद्दीकी उसके सहयोगी हाफिज इदरीश व अन्य को गिरफ्तार किया था। कलीम मदरसा जामिया इमाम वलीउल्लाह इस्लामिया का संचालक है। इस संबंध में एटीएस ने 20 जून, 2021 को को मुकदमा दर्ज कराया था।
कई राज्यों में अवैध मतांतरण का नेटवर्क
एटीएस के अनुसार, आरोपियों ने दिल्ली, उत्तर प्रदेश, झारखंड, महाराष्ट्र, उत्तराखंड समेत कई राज्यों में अवैध मतांतरण का नेटवर्क खड़ा कर रखा था। यह गिरोह हिंदू समाज के युवाओं को अच्छा जीवन, दौलत और विवाह कराने का लालच देकर ब्रेनवाश करता था। मतांतरण करने वालों को नया नाम दिया जाता था।
एटीएस के लोक अभियोजक नागेंद्र गोस्वामी ने कोर्ट को बताया कि पकड़े गए लोग आइएसआइ और विदेशी संस्थाओं से फंडिंग पाते थे। पूरे देश में नेटवर्क फैला रखा था, जिसमे उत्तर प्रदेश, गुजरात, हरियाणा, महाराष्ट्र भी शामिल है। गिरोह की विदेशों से फंडिंग होती थी, जिसके रजिस्टर भी बरामद हुए थे।
हजार से अधिक लोगों का कराया मतांतरण
एटीएस की जांच में सामने आया था कि मौलाना कलीम और उसके साथियों ने एक हजार से अधिक लोगों का मतांतरण कराया। बड़ी संख्या में उनका निकाह भी कराया। ये लोग सुनियोजित ढंग से लोगों को फंसाते थे। इनके निशाने पर बच्चे, महिलाएं, अनुसूचित जाति, जनजाति तथा मूक बधिर रहते थे। नोएडा के मूकबधिर स्कूल के बच्चों को भी गायब करने की बात सामने आई थी।
इनको उम्रकैद
मौलाना कलीम सिद्दीकी, कौसर आलम, डा. फराज बाबुल्ला शाह, प्रसाद रामेश्वर कोवरे उर्फ आदम, भूप्रिय बंदो उर्फ अर्सलान मुस्तफा, मोहम्मद उमर गौतम, मुफ्ती काजी जहांगीर कासमी, इरफान शेख उर्फ इरफान खान, सलाउद्दीन जैनुद्दीन शेख, धीरज गोविंद राव जगताप, सरफराज अली जाफरी व अब्दुल्ला उमर। इन्हें धारा 121 ए भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है।
इनको 10 साल की सजा
राहुल भोला, मन्नू यादव उर्फ अब्दुल मन्नान, मो. सलीम व कुणाल अशोक चौधरी उर्फ आतिफ। चारो को धारा 123 भारतीय दंड संहिता के तहत 10 वर्ष के कारावास और 50 हजार रुपये का अर्थदंड लगाया गया।
उमर और अब्दुल्ला पर लगा 1.85 लाख अर्थदंड
मो. उमर गौतम तथा अब्दुल्ला उमर को आजीवन कारावास पर 1.85 लाख, सलाउद्दीन जैनुद्दीन शेख, प्रसाद रामेश्वर कांवरे उर्फ आदम, अर्सलान मुस्तफा उर्फ भूप्रिय बंदों, कौसर आलम, फराज शाह, मौलाना कलीम सिद्दीकी, धीरज गोविंद राव जगताप, सरफराज अली जाफरी, काजी जहांगीर पर 1.60 लाख और मोहम्मद सलीम, राहुल भोला, मन्नू यादव व कुणाल अशोक चौधरी पर एक-एक लाख रुपये अर्थदंड लगा है।