रुद्रप्रयाग। केदारनाथ धाम पैदल मार्ग पर बादल फटने और भूस्खलन की घटना के तीन दिन बाद शुक्रवार को लिनचोली में मलबे में दबे दो शव बरामद हुए हैं। पुलिस महानिदेशक अभिनव कुमार नै रुद्रप्रयाग जिला प्रशासन के हवाले से बताया कि मृतकों की पहचान नहीं हो पाई और उनकी गुमशुदगी भी दर्ज नहीं है।
केदारनाथ पैदल मार्ग पर हुई अतिवृष्टि के बाद से डेढ़ सौ से अधिक यात्रियों व कुछ स्थानीय लोगों का तीसरे दिन भी अपने परिजनों से संपर्क नहीं हो पाया है। हालांकि केदारनाथ में संचार सेवा ठप होने से मोबाइल सेवा बंद पड़ी है।
वहीं, बड़ी संख्या में यात्री जंगलों के रास्ते चौमासी पहुंच रहे हैं, इस रास्ते में भी मोबाइल सेवा नहीं है। पुलिस का कहना है कि शनिवार तक रेस्क्यू कार्य पूरा होने की उम्मीद है। इसके बाद भी यात्रियों स्थिति स्पष्ट हो सकेगी कि यात्रियों की सही जानकारी मिल सकेगी।
केदारनाथ पैदल मार्ग पर बादल फटने की घटना
बता दें कि बुधवार रात्रि को केदारनाथ पैदल मार्ग पर बादल फटने की घटना के बाद से पुलिस कंट्रोल रूम में अब तक डेढ़ सौ से अधिक शिकायतें दर्ज की जा चुकी हैं, जिनका अपने परिजनों से संपर्क नहीं हो रहा है। परिजनों द्वारा कंट्रोल रूम को अपनी शिकायत दर्ज कराते हुए कहा है कि बुधवार सायं से वह अपने परिजनों से बाचतीत नहीं कर पाए हैं, यह केदारनाथ की यात्रा पर गए थे।
पुलिस अधीक्षक के स्टेनो नरेन्द्र रावत ने बताया कि कंट्रोल रूम में डेढ़ सौ से अधिक शिकायतें फोन पर परिजनों ने दर्ज करवाई हैं, जिसमें बुधवार से अपने परिजनों से संपर्क न होने की बात कही है। उन्होंने बताया कि अभी भी सात सौ से अधिक यात्रियों का रेस्क्यू किया जाना है, यह सभी यात्री केदारनाथ धाम में ही फंसे हुए हैं।
सभी का रेस्क्यू शनिवार तक पूरा होने की उम्मीद है। केदारनाथ धाम में मोबाइल सेवा नहीं है, जिससे केदारनाथ धाम में फंसे यात्रियों का संपर्क न होने का मुख्य कारण हो सकता है।
उन्होंने कहा कि पूरी तरह रेस्क्यू होने के बाद ही स्थिति स्पष्ट हो सकेगी कि वास्तवित कितने मिसिंग है या नहीं। हालांकि उनका कहना है कि जिन लोगों ने अपने परिजनों से संपर्क न होने की शिकायत दर्ज कराई थी, उसमें बीस से अधिक लोगों से शुक्रवार को रेस्क्यू के बाद संपर्क हो गया है।
वहीं केदारनाथ में फंसे यात्री चौमासी होते हुए गुप्तकाशी पहुंच रहे हैं। चौमासी के प्रधान महावीर सिंह ने बताया कि अब तक दौ सो से अधिक यात्री केदारनाथ से चौमासी होते हुए सुरक्षित वापस लौट चुके हैं।