अंबेडकरनगर। उप्र के अंबेडकरनगर एमपी-एमएलए कोर्ट ने 1990 के जानलेवा हमला केस में आरोपी पूर्व विधायक पवन पांडेय के खिलाफ सजा का ऐलान कर दिया है। पवन पांडेय को कोर्ट ने 7 साल सश्रम कारावास की सजा सुनाई है।
पवन पांडेय को नवंबर 2023 में यूपी एसटीएफ ने धोखाधड़ी कर जमीन कब्जा के आरोप में गिरफ्तार किया था। अब उनके खिलाफ सजा का ऐलान हो गया है। पांडेय के खिलाफ 26 जून 1990 को जलालपुर थाने में जानलेवा हमले का केस दर्ज कराया गया था।
सम्मनपुर थाना क्षेत्र के परसकटुई निवासी अरविंद कुमार सिंह ने यह केस दर्ज कराया था। इसी मामले में सजा का ऐलान हुआ है। उन पर 20 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है।
दमदार राजनीतिक परिवार से ताल्लुक
पवन पांडेय एक दमदार राजनीतिक परिवार से ताल्लुक रखते हैं। वे स्वयं वर्ष 1991 में शिवसेना के टिकट पर अकबरपुर विधानसभा सीट से विधायक चुने गए थे। उनके भाई राकेश पांडेय जलालपुर से समाजवादी पार्टी से विधायक हैं।
वहीं, भतीजा रितेश पांडेय अंबेडकरनगर से बसपा के टिकट पर सांसद रह चुके हैं। लोकसभा चुनाव 2024 में रितेश पांडेय ने भाजपा का दामन थामा था। हालांकि, वे जीत दर्ज नहीं कर पाए। उन्हें सपा के लालजी वर्मा के हाथों हार का सामना करना पड़ा।
धोखे से जमीन कब्जे का आरोप
UPSTF ने पूर्व विधायक पवन पांडेय को नवंबर 2023 में गिरफ्तार किया था। उन पर धोखाधड़ी कर जमीन कब्जा करने का आरोप है। पूर्व विधायक को बाराबंकी जिले के रामसनेहीघाट थाना इलाके से गिरफ्तार किया गया। इसके बाद से वे जेल में हैं। 1990 के केस में भी उन्हें जेल में रहते हुए ही सजा सुनाई गई है।
पवन पांडेय पर अंबेडकरनगर जिला मुख्यालय के अकबरपुर कोतवाली में धोखाधड़ी, दस्तावेजों में हेराफेरी और साजिश के तहत 2022 में एक केस दर्ज कराया गया था। पूर्व विधायक पर धोखाधड़ी और जालसाजी करके करोड़ों रुपये की जमीन अपने सहयोगियों के नाम अनुबंध कराने के लिए साजिश करने का आरोप लगा था।
पवन पांडेय और उनके सहयोगियों पर अंबेडकरनगर जिला मुख्यालय के नासिरपुर बरवा निवासी चम्पा देवी, पत्नी केदारनाथ सिंह ने अकबरपुर कोतवाली में जमीन का धोखाधड़ी और साजिश के तहत अनुबंध कराने का आरोप लगाया था। इस मामले में प्राथमिकी दर्ज हुई थी।
मामले के अन्य आरोपी मुकेश तिवारी, गोविंद यादव, लाल बहादुर सिंह, दीप नारायण शर्मा, नीतू सिंह को पहले अरेस्ट किया गया। पूर्व विधायक की बाद में गिरफ्तारी हुई थी। हालांकि, 1990 में उनके खिलाफ जानलेवा हमले का केस दर्ज कराया गया था।
इस मामले में सुनवाई MP-MLA कोर्ट में चल रही थी। पुलिस की चार्जशीट में पूर्व विधायक को अरविंद सिंह पर हमला मामले में आरोपी बनाया गया। कोर्ट ने उन्हें केस में दोषी ठहराया गया है।
पवन पांडेय पर 90 केस दर्ज
STF के एक बयान के मुताबिक, पूर्व विधायक पवन पांडेय के खिलाफ अंबेडकरनगर, प्रयागराज, लखनऊ और मुंबई समेत कई पुलिस थानों में करीब 90 केस दर्ज हैं। वर्ष 1991 में अकबरपुर विधानसभा क्षेत्र से पवन पांडेय शिवसेना के टिकट पर जीत दर्ज करने में कामयाब हुए थे।
उनके खिलाफ बाबरी विध्वंस के दौरान गंभीर आरोप लगा था। पवन पांडेय पर उमा भारती और लालकृष्ण आडवाणी के नेतृत्व में बाबरी विध्वंस की योजना बनाने का आरोप लगा। पांडेय की कट्टर हिंदुत्व वाली छवि का लाभ उन्हें बाद के चुनावों में नहीं मिल पाया। लेकिन, उनका दबदबा सभी दलों में दिखा।
भाजपा से इतर उन्होंने अपनी राजनीति की। उनके छोटे भाई कृष्ण कुमार पांडेय उर्फ कक्कू पांडेय ने बसपा के टिकट पर सुल्तानपुर के इसौली सीट से चुनाव लड़ा था। यूपी चुनाव 2022 में उनका बेटा प्रतीक पांडेय कटेहरी सीट से बसपा उम्मीदवार था।