धार। धार भोजशाला की ऐतिहासिक सच्चाई का पता अब लोगों को पता चल जाएगा। दरअसल, आज सोमवार को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने मप्र हाई कोर्ट की इंदौर बेंच में धार भोजशाला की अपनी सर्वेक्षण रिपोर्ट पेश कर दी है।
अब इस रिपोर्ट का बेसब्री से इंतजार किया जा रहा है, क्योंकि इसी रिपोर्ट के आधार पर सबकुछ सामने आ जाएगा। बता दें कि उत्खनन के दौरान, ASI को देवी-देवताओं की 37 मूर्तियां मिलीं, जो साइट को महत्वपूर्ण ऐतिहासिक महत्व प्रदान करती हैं।
बता दें कि मप्र के धार जिले की भोजशाला का विवाद फिर से चर्चा में है। एएसआई ने यहां पर सर्वे का काम शुरू कर दिया है। इंदौर हाईकोर्ट के आदेश के बाद यहां पर सर्वे की शुरुआत हुई है।
इस सर्वे के आधार पर ही तय होगा कि यहां पर पूजा होगी या फिर नमाज का अधिकार दिया जाएगा। हालांकि सर्वे को रोकने के लिए मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की, लेकिन आज सुप्रीम कोर्ट ने सर्वे पर रोक लगाने से इनकार कर दिया।
क्या है विवाद
धार जिले की ऑफिशियल वेबसाइट के मुताबिक भोजशाला मंदिर को राजा भोज ने बनवाया था। राजा भोज परमार वंश के सबसे महान राजा थे, जिन्होंने 1000 से 1055 ईस्वी तक राज किया। इस दौरान उन्होंने साल 1034 में एक महाविद्यालय की स्थापना की थी, जिसे बाद में भोजशाला नाम से जाना गया। यहां दूर-दूर से छात्र पढ़ने आया करते थे।
बताया जाता है कि 1305 ईस्वी में अलाउद्दीन खिलजी ने भोजशाला पर हमला किया था। जिसके बाद से यह जगह पूरी तरह से बदल गई। कुछ मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक 1401 ईस्वी में दिलवार खान गौरी ने भोजशाला के एक हिस्से में और 1514 ईस्वी में महमूद शाह खिलजी ने दूसरे हिस्से में मस्जिद बनवाया था।
19वीं शताब्दी में एक बार फिर इस जगह बहुत बड़ी घटना हुई उस समय खुदाई के दौरान सरस्वती देवी के प्रतिमा मिली थी। जिस प्रतिमा को अंग्रेज अपने साथ ले गए जो अभी लंदन संग्रहालय में है। इस प्रतिमा को वापस भारत लाने के लिए भी विवाद चल रहा है।