मुजफ्फरनगर। मुजफ्फरनगर की मीरापुर विधानसभा सीट से नवनिर्वाचित रालोद विधायक मिथलेश पाल की मुश्किलें बढ़ गई हैं। कोर्ट ने मिथलेश पाल समेत 15 लोगों पर आरोप तय कर दिए हैं। इस मामले में 3 जनवरी को फैसला आना है।
बता दें कि वर्ष 2019 में रालोद विधायक मिथिलेश पाल समेत 15 लोगों पर दंग दंगा भड़काने आदि के आरोप लगे थे। मुकदमे की सुनवाई एमपी एमएलए कोर्ट में चल रही है चल रही है। तीन दिन पहले एमपी एमएलए कोर्ट ने विधायक मिथिलेश समिति 15 लोगों पर आरोपित किए हैं। जिस पर 3 जनवरी को फैसला आना है।
मिथलेश पाल समेत कई लोगों पर सिविल लाइन थाने में धारा 147,148, 342 के तहत मुकदमा दर्ज हुआ था। मिथलेश पाल हाल ही में मीरापुर विधानसभा उपचुनाव में रालोद के टिकट पर चुनाव लड़कर जीती थी। कोर्ट ने सजा सुनाई तो उनकी विधायकी खतरे में पड़ सकती है।
कौन हैं मिथलेश पाल
रालोद के सिंबल पर चुनाव लड़ने वाली मिथलेश पाल वैसे तो भाजपा में हैं, लेकिन वर्ष 2009 में वह रालोद के सिंबल पर ही मोरना सीट पर उपचुनाव में विधायक निर्वाचित हुई थीं। इस चुनाव में उन्होंने बसपा प्रत्याशी पप्पू राणा को हराया था।
रालोद के सिंबल पर दूसरे स्थान पर रहीं थी मिथलेश
जानसठ रोड स्थित भरतिया कॉलोनी निवासी मिथलेश पाल वर्ष 2012 में मीरापुर सीट से रालोद के टिकट पर ही चुनाव लड़ीं और 44069 वोट पाकर दूसरे स्थान पर रही थीं। इस चुनाव में बसपा के जमील अहमद कासमी जीते थे, जबकि भाजपा प्रत्याशी वीरपाल निर्वाल 25689 वोट पाकर तीसरे स्थान पर रहे थे।
2017 में तीसरे नंबर रहीं थीं
वर्ष 2017 में फिर से मीरापुर सीट से रालोद के टिकट पर मिथलेश पाल चुनाव लड़ीं। इस चुनाव में वह 22751 वोट पाकर तीसरे स्थान पर रहीं थीं, जबकि भाजपा के अवतार सिंह भड़ाना 69035 वोट पाकर जीते थे और समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी लियाकत अली 68842 वोट पाकर दूसरे स्थान पर रहे थे।
इसके बाद उन्होंने कोई चुनाव नहीं लड़ा। वर्ष 2022 में वह भाजपा में शामिल हो गई थीं। भाजपा-रालोद गठबंधन में उपचुनाव के लिए मीरापुर सीट रालोद के लिए छोड़ दी गई थी।
रोचक रहा था मीरापुर का चुनाव
मीरापुर विधानसभा का उपचुनाव काफी रोचक हो गया। यहां पर सपा की हार के कारण कई प्रमुख कारण माने जा रहे हैं, जिनमें से सबसे पहला तो यह है कि मुस्लिम बहुल सीट पर वोट प्रतिशत में काफी कमी रही। मतदान के दिन मुस्लिम बहुल इलाकों में 40 प्रतिशत ही वोटिंग हो पाई।