नई दिल्ली। खुदरा महंगाई के अक्टूबर के आंकड़ों ने भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के माथे पर चिंता की लकीरें बढ़ा दी हैं। सरकार ने RBI को खुदरा मुद्रास्फीति 4 फीसदी पर रखने की जिम्मेदारी दी है। इसमें दो फीसदी का घट-बढ़ हो सकता है।
इसका मतलब कि अगर महंगाई 2 से 6 फीसदी के भीतर रहती है, तो RBI के लिए ज्यादा परेशानी नहीं रहती लेकिन, अक्टूबर में महंगाई 6.21 फीसदी तक पहुंच गई। यह पिछले 14 महीनों का उच्चतम स्तर है। इसका अनुमान एक्सपर्ट को भी नहीं था।
उनका मानना था कि अक्टूबर में महंगाई जाहिर तौर पर बढ़ेगी, लेकिन यह 6 फीसदी की सीमा के भीतर रहेगी। अब RBI के लिए परेशानी बढ़ गई है कि वह दिसंबर में होने वाली मीटिंग में नीतिगत ब्याज दरों पर कटौती के बारे में क्या फैसला ले।
महंगाई ने RBI की मुश्किल कैसे बढ़ाई?
अमेरिका और यूरोप समेत दुनियाभर की तमाम विकसित अर्थव्यवस्थाएं लगातार ब्याज दरों में कटौती कर रही हैं। अमेरिका दो बार ब्याज दरों में कमी कर चुका है। वहीं, यूरोपीय सेंट्रल बैंक (ECB) ने तीन बार और बैंक ऑफ इंग्लैंड ने दो बार दरें घटाई हैं।
स्विट्जरलैंड, स्वीडन, कनाडा जैसी कई अर्थव्यवस्थाओं ने भी ढील दी है। चीन भी लंबे समय से किसी भी रूप में ब्याज दरों में राहत दे रहा है। ऐसे में RBI से भी उम्मीद थी कि वह दिसंबर में होने वाली MPC मीटिंग में ब्याज दरों में कटौती करेगा।
इसके लिए जरूरी थी कि अक्टूबर में महंगाई काबू में रहे लेकिन, अक्टूबर में खुदरा महंगाई ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए और 14 महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई।
क्या अब ब्याज दरों में कटौती नहीं करेगा RBI?
कई इकोनॉमिक फैक्टर सुस्ती के संकेत दे रहे हैं। ऑटो सेक्टर घटती बिक्री से परेशान है। FMCG कंपनियां के वित्तीय नतीजे भी खपत घटने का इशारा दे रहे हैं। शेयर मार्केट में भी लगातार गिरावट हो रही है। ऐसे में RBI से उम्मीद थी कि वह ब्याज दरों में कटौती करके इकोनॉमी को बूस्ट दे।
अब अक्टूबर में महंगाई के आंकड़े देखने के बाद दिसंबर में ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद काफी कम हो गई, तकरीबन न के बराबर। दरअसल, RBI गवर्नर शक्तिकांत दास कई बार स्पष्ट कर चुके हैं कि केंद्रीय बैंक का सबसे ज्यादा फोकस महंगाई घटाने पर है। ऐसे में जब खुदरा महंगाई काबू से बाहर निकल रही है, तो RBI ब्याज दरों में कटौती करने से बचेगा।
क्या ब्याज दरों में बढ़ोतरी करेगा RBI?
जब भी महंगाई काबू से बाहर जाती है, तो RBI ब्याज दरें बढ़ा देता है। इससे बाजार में कैश फ्लो घटता है। प्रोडक्ट और सर्विसेज की डिमांड भी कम हो जाती है। इससे ओवरऑल महंगाई कम हो जाती है। ऐसे में यह आशंका भी जताई जा रही है कि RBI ब्याज दरों में इजाफा कर सकता है।
हालांकि, ब्याज दरों में बढ़ोतरी होने की संभावना कम है, क्योंकि इससे अर्थव्यवस्था और भी सुस्त हो सकती है, जो पहले ही सुस्ती की चपेट में है। RBI ब्याज दरों को जस का तस रख सकता है, जैसा कि वह पिछले 10 बार से कर रहा है।