पुरी। ओडिशा का पुरी शहर आज 07 जुलाई रविवार से शुरू होने वाली भगवान जगन्नाथ की वार्षिक रथ यात्रा उत्सव के सुचारू संचालन के लिए पूरी तरह तैयार है। 53 वर्षों बाद यह यात्रा दो-दिवसीय होगी। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू भी रविवार को लाखों श्रद्धालुओं के साथ रथ यात्रा देखने वाली हैं।
राज्य सरकार ने उनकी यात्रा के लिए विशेष व्यवस्था की है। ओडिशा सरकार ने यात्रा के सुचारू संचालन के लिए व्यापक व्यवस्था की है, जो आमतौर पर एक ही दिन आयोजित की जाती है। हर वर्ष उड़ीसा के पुरी में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा का विशाल और भव्य आयोजन किया जाता है।
यह रथ यात्रा हिंदू धर्म में विशेष स्थान रखता है। हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि पर विशाल रथ यात्रा निकाली जाती है, फिर आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष 10वीं तिथि पर इसका समापन होता है।
इस रथ यात्रा में भगवान जगन्नाथ, बहन सुभद्रा और भाई बलभद्र संग साल में एक बार प्रसिद्ध गुंडिचा माता के मंदिर में जाते हैं। इस पवित्र रथ यात्रा में भगवान जगन्नाथ अपने बहन और भाई संग पूरे नगर का भ्रमण करते हैं। इस बार भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा बहुत ही दुर्लभ संयोग होगी।
अनुष्ठान भी आयोजित किए जाएंगे
ग्रह-नक्षत्रों की गणना के अनुसार इस साल दो-दिवसीय यात्रा आयोजित की गई है, जबकि आखिरी बार 1971 में दो-दिवसीय यात्रा का आयोजन किया गया था।
परंपरा से हटकर, तीन भाई-बहन, देवी-देवताओं, भगवान जगन्नाथ, देवी सुभद्रा और भगवान बलभद्र से संबंधित त्योहार से संबंधित कुछ अनुष्ठान भी रविवार को एक ही दिन में आयोजित किए जाएंगे। रथों को जगन्नाथ मंदिर के सिंहद्वार के सामने खड़ा किया गया है, जहां से उन्हें गुंडिचा मंदिर ले जाया जाएगा। वहां रथ एक सप्ताह तक रहेंगे।
नवयौवन दर्शन’ और ‘नेत्र उत्सव’
रविवार दोपहर को भक्त रथों को खींचेंगे। इस वर्ष, रथ यात्रा और संबंधित अनुष्ठान जैसे ‘नवयौवन दर्शन’ और ‘नेत्र उत्सव’ एक ही दिन सात जुलाई को आयोजित किए जाएंगे। ये अनुष्ठान आम तौर पर रथ यात्रा से पहले आयोजित किए जाते हैं।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, स्नान पूर्णिमा पर अधिक स्नान करने के कारण देवता अस्वस्थ हो जाते हैं और इसलिए अंदर ही रहते हैं। ‘नवयौवन दर्शन’ से पहले, पुजारी ‘नेत्र उत्सव’ नामक विशेष अनुष्ठान करते हैं, जिसमें देवताओं की आंखों की पुतलियों को नए सिरे से रंगा जाता है।