महाकुंभ नगर। प्रयागराज महाकुंभ के अंतिम स्नान पर्व महाशिवरात्रि को लेकर हर किसी में उत्साह है। त्रिवेणी संगम के पवित्र जल में डुबकी लगाने के लिए देश-विदेश से श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। तीर्थराज के प्राचीन शिवालयों में दर्शन-पूजन का विशेष प्रबंध किया गया है।
श्रीमनकामेश्वर महादेव, ऋणमुक्तेश्वर महादेव, शिवकोटि, गंगोली शिवालय, दशाश्वमेध महादेव, पंचमुखी महादेव, कोटेश्वर महादेव सहित हर शिवालय में बुधवार की सुबह से दर्शन-पूजन आरंभ हो जाएगा। मनकामेश्वर महादेव मंदिर में भोर से लेकर रातभर जप-तप चलेगा।
महाशिवरात्रि 26 फरवरी को है। इसमें भी दुर्लभ संयोग बन रहा है। ज्योतिर्विद आचार्य देवेंद्र प्रसाद त्रिपाठी के अनुसार फाल्गुन कृष्णपक्ष की त्रयोदशी तिथि 26 फरवरी की सुबह 9.19 बजे तक है। इसके बाद चतुर्दशी तिथि लग जाएगी, जो 27 फरवरी की सुबह 8.08 बजे तक रहेगी।
चतुर्दशी तिथि पर महाशिवरात्रि का योग बनता है। उक्त तारीख पर श्रवण नक्षत्र शाम 4.10 तक है। इसके बाद घनिष्ठा नक्षत्र लगेगा। मकर राशि में चंद्रमा और कुंभ राशि के सूर्य, शनि व बुध संचरण करेंगे। यह मिलकर अमृत के समान योग बना रहे हैं।
शुभकारी हैं भगवान शिव
शिव संस्कृत का शब्द है, जिसका अर्थ है शुभकारी। यजुर्वेद में शिव को शांतिदाता बताया गया है। शिवरात्रि अज्ञानता के अंधकार को दूर करने वाली होती है। महाशिवरात्रि वह महारात्रि है, जिसका शिव तत्व से घनिष्ठ संबंध है। यह पर्व शिव के दिव्य अवतरण का मंगल सूचक पर्व है।
शिवलिंग में बेलपत्र के साथ जल अर्पित करने से काम, क्रोध, लोभ, मोह, मत्सर आदि विकारों से मुक्ति मिलती है। भगवान शिव भक्तों को शांति और ऐश्वर्य प्रदान करते हैं।
महाशिवरात्रि का पर्व इसलिए भी बहुत ज्यादा शुभ माना जाता है, क्योंकि यह भगवान शिव और पार्वती के पावन मिलन का प्रतीक है। उक्त पर्व पर मांस, मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए। मन में किसी के प्रति द्वेष, छल, कपट का भाव नहीं रखना चाहिए।
इसका रखें ध्यान
- महाशिवरात्रि के दिन सुबह स्नान करें और सूर्य देव को जल अर्पित करें।
- जल में दूध, शहद, घी और गंगाजल मिलाकर शिवलिंग का अभिषेक करें।
- शिवलिंग पर बेलपत्र, मोली, अक्षत, फल, पान, सुपारी समेत आदी चीजें चढ़ाएं।
- देशी घी का दीपक जलाकर आरती करें और शिव चालीसा एवं मंत्रों का जप करें।
- पूजा के लिए उत्तर दिशा की तरफ मुंह करके बैठें।
- इस दिन काले रंग के कपड़े न पहनें।
- शिवलिंग की पूरी परिक्रमा न करें।
- शिवलिंग पर जल चढ़ाने के लिए तांबे के लोटे का प्रयोग करें।
- पूजा के दौरान किसी से वाद-विवाद न करें।