कानपुर। पान मसाला फैक्ट्री संचालकों ने साफ कर दिया है कि वे अपने सभी गेट पर लगे कैमरों का एक्सेस राज्य कर विभाग को नहीं देंगे। इससे पान मसाला फैक्ट्रियों के बाहर चल रही निगरानी के फिर से आगे बढ़ने की संभावना जताई जा रही है।
वहीं, कड़ाके की सर्दी के बीच रात भर फैक्ट्री गेट के बाहर कार में बैठे रहने से ड्यूटी पर तैनात अधिकारी भी बीमार हो रहे हैं। राज्य कर विभाग की निगरानी के 50 दिन हो गए हैं।
पान मसाला फैक्ट्रियों में करीब-करीब सभी के दो या तीन गेट हैं। राज्य कर विभाग अपने पास से कैमरे लगाने की जगह फैक्ट्री संचालकों पर ही दबाव डाल रहा है कि वे अपने गेट पर लगे कैमरों का एक्सेस उन्हें दे दें।
फैक्ट्री मालिकों ने एक गेट का दिया एक्सेस
इसमें फैक्ट्रियों ने एक-एक गेट का एक्सेस दे भी दिया था जिसे लखनऊ में राज्य कर मुख्यालय में देखा भी जा रहा है लेकिन सभी गेट का एक्सेस न दिए जाने से दूसरे गेट पर अधिकारियों की ड्यूटी लगानी पड़ रही है।
इस सर्दी में तीन दिन कानपुर पूरे प्रदेश में सबसे ठंडा रह चुका है और यहां तापमान 4.4 डिग्री सेल्सियस तक गिर चुका है। अधिकारियों ने संचालकों को यह तक भरोसा दिलाया था कि वे सभी गेट के एक्सेस दे दें तो 14 जनवरी के बाद निगरानी हटा देंगे लेकिन संचालकों की तरफ से भी कह दिया गया था कि इससे अच्छा वे फैक्ट्री बंद कर देंगे।
फैक्ट्री संचालक अड़े
पान मसाला फैक्ट्री संचालकों के न मानने के बाद नौ जनवरी को निगरानी बढ़ाने का पिछला आदेश जारी किया गया जिसमें निगरानी 16 जनवरी तक के लिए बढ़ाई गई है। फैक्ट्री संचालक अब तक अपनी बात पर अड़े हुए हैं। वे दूसरे या तीसरे गेट का एक्सेस देने को तैयार नहीं हैं।
पलायन शहर के दूसरे उद्योगों पर भी डालेगा असर
इस कारोबारी शहर से पान मसाला फैक्ट्रियों के पलायन के शुरू होने से व्यापारी व कारोबारी दोनों ही निराश हैं। उद्यमियों और कारोबारियों दोनों का कहना है कि इससे दूसरे उद्योगों के लिए माहौल खराब होगा। उद्योगों के लिए भय का माहौल बनाया जा रहा है।
उद्यमियों का कहना है कि शहर के उद्यमियों को सम्मानित किया जाना चाहिए लेकिन इस तरह उनके सम्मान को ठेस पहुंचाई जा रही है। पान मसाला निर्माता हर माह 100 करोड़ रुपये का टैक्स देते है।