नई दिल्ली। हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन बहुत खराब रहा। चुनाव परिणाम आते ही सहयोगी दलों ने हमला बोलना शुरू कर दिया तो अब पार्टी के अंदर भी रार छिड़ गई है।
हार के कारणों पर चर्चा के लिए पार्टी की केंद्रीय नेतृत्व ने राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के घर बैठक की तो प्रमुख चेहरे ही गायब रहे। पार्टी ने हरियाणा चुनाव में जिसपर भरोसा करके हर बात मानी, वही भूपेंद्र सिंह हुड्डा मीटिंग में नहीं पहुंचे।
प्रदेश अध्यक्ष उदय भान ने भी बैठक से दूरी बना ली। इस पर राहुल गांधी का पारा और चढ़ गया। सूत्रों के मुताबिक, राहुल ने कहा कि लोगों ने निजी हित को पार्टी हित से ऊपर रखा। सूत्र बता रहे हैं कि कांग्रेस हरियाणा चुनाव में हार की समीक्षा के लिए फैक्ट फाइंडिंग कमिटी गठित करेगी।
समीक्षा बैठक में क्या हुई बात
गुरुवार सुबह हुई बैठक में शामिल हुए पार्टी के वरिष्ठ नेता और हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी पर्यवेक्षक अजय माकन ने कहा कि एग्जिट पोल और एग्जेक्ट रिजल्ट बिल्कुल उलट हैं जिसकी समीक्षा होगी। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग की भूमिका पर पार्टी के अंदर ही मतभेद है, इस पर भी मंथन हुआ।
माकन ने कहा, ‘हरियाणा चुनाव के नतीजे अप्रत्याशित हैं। चुनाव के एग्जिट पोल और रिजल्ट में जमीन-आसमान का अंतर है। हमने चुनाव परिणाम से जुड़े अलग-अलग वजहों की चर्चा की है। चुनाव आयोग से लेकर आपसी मतभेद पर भी बात हुई जिसके ऊपर हम आगे और कार्रवाई करेंगे।’
सैलजा-हुड्डा में खींचतान पर चर्चा
कांग्रेस को हरियाणा में सिर्फ 37 सीटें मिलीं, जबकि बीजेपी 48 सीटें जीतकर लगातार तीसरी बार सरकार बनाने जा रही है। पार्टी नेताओं ने बताया कि बैठक में हरियाणा चुनाव परिणामों का विस्तृत विश्लेषण किया जाएगा।
एक वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘चुनाव से पहले कुमारी सैलजा और हुड्डा के बीच की कलह पर चर्चा होगी। यह भी देखा जाएगा कि क्या हरियाणा में शीर्ष नेताओं के बीच मुख्यमंत्री पद की होड़ हमारे खराब प्रदर्शन का कारण थी। टिकट बंटवारे और समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन जैसे मुद्दों पर भी चर्चा होगी।’
बागियों ने भी डुबोई कांग्रेस की लुटिया
हरियाणा के चुनाव में कांग्रेस के 90 उम्मीदवारों में से 72 हुड्डा के वफादार थे। सैलजा और कांग्रेस महासचिव रणदीप सुरजेवाला अपने कुछ समर्थकों के लिए ही टिकट दिला पाए।
हाईकमान ने कुछ और उम्मीदवारों को टिकट दिए। हाईकमान समर्थित तीन उम्मीदवार हुड्डा के करीबी बागियों की वजह से हार गए। इस हार के बाद पार्टी के अंदर कई लोग हाईकमान पर सवाल उठा रहे हैं।
ये हार बहुत बड़ी है
यूं तो चुनावों में हार-जीत का क्रम लगा रहता है, लेकिन हरियाणा की हार बिल्कुल अलग है। यहां कांग्रेस और उसके समर्थकों ने मान लिया था कि माहौल बहुत अनुकूल है और बाजी हाथ में आ चुकी है। जीती हुई इस बाजी को हार जाने का गम कैसा होता है, कांग्रेस अभी अच्छे से महसूस कर रही है।
बहरहाल, बैठक में कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, कांग्रेस के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष अजय माकन जैसे वरिष्ठ नेता मौजूद रहे।