लखनऊ। उप्र के बेहमई नरसंहार को लेकर अब एक बड़ा खुलासा सामने आया है। यूपी के पूर्व डीजीपी व बीजेपी सांसद बृजलाल ने दावा किया है कि कुकर्मों को छुपाने के लिए फूलन देवी ने इस प्रकार की आपराधिक घटना को अंजाम दिया था। एक न्यूज चैनल को दिए गए इंटरव्यू में बेहमई नरसंहार के विभिन्न पहलुओं पर भारतीय जनता पार्टी सांसद ने चर्चा की।
दरअसल, बृजलाल इन दिनों अपनी पुस्तक को लेकर सुर्खियों में बने हुए हैं। इसमें उन्होंने मशहूर डकैत फूलन देवी को लेकर कई दावे किए हैं। बृजलाल ने किताब को लेकर उठ रहे सवालों पर साफ तौर पर कहा है कि बेहमई में फूलन के साथ कुछ भी नहीं हुआ था।
बृजलाल ने क्या कहा?
सांसद बृजलाल ने कहा कि मैं अपनी किताब को लेकर चल रहे सवालों पर स्पष्ट कर देना चाहता हूं। मैं साफ कहना चाहता हूं कि फूलन का ये कहना कि उसका अपहरण किया गया, गलत है। दूसरा उसका ये कहना कि बेहमई गांव में ठाकुरों ने उसका एक-एक कर रेप किया और ये हुआ, टोटली गलत है।
उन्होंने स्पष्ट कहा कि रेप हुआ, बीहड़ में हुआ। गैंग ने किया। लालाराम, श्रीराम आदि ने इस घटना को अंजाम को दिया। इसका कारण समझाते हुए बृजलाल कहते हैं कि फरवरी माह में गांवों में गैंग रुकता नहीं है। कहा गया कि 10 दिन गैंग रुका रहा। 10 दिनों तक वहां रहा। यह टोटली गलत है।
क्या फूलन देवी ने झूठ बोला था? इस सवाल पर बृजलाल साफ करते हैं कि वह गलत बोल रही थी। हमें जंटर सिंह ने बताया कि बेहमई नरसंहार के बाद मीडिया वहां पहुंची थी। बेहमई गांव में घर के बाहर पुरुषों की लाश पड़ी थी।
मीडिया का सवाल वहां की महिलाओं से था, क्या आपके पति ने रेप किया था? सवाल किया जा रहा था कि क्या थी वो घटना? इस पर एक महिला ने उस पत्रकार की चप्पल से पिटाई कर दी। उसके पति की लाश दरवाजे पर पड़ी थी।
वह सदमे में थी। पत्रकार ने पिटाई के बाद पूरी घटना को अलग तरीके से दिखाया। बृजलाल ने आगे कहा कि इसके बाद बैंडिट क्वीन फिल्म बनी। फिल्म में उन्हें मिर्च-मसाला लगाना था। उन लोगों ने पूरी घटना को अलग तरीके से पेश कर दिया।
क्या था बेहमई नरसंहार?
गौरतलब है कि उप्र में कानपुर देहात के बेहमई गांव में 14 फरवरी 1981 को डकैत फूलन देवी ने राजपूत बिरादरी के 20 लोगों को लाइन में खड़ा करके गोलियां बरसाकर मौत के घाट उतार दिया था। दरअसल, बेहमई कांड डकैत श्रीराम और लालाराम की फूलन से रंजिश एवं मुखबिरी के शक में हुआ था।
डकैत श्रीराम और लालाराम, बाबू गुज्जर की हत्या से नाराज थे। वे फूलन देवी को ही हत्या के लिए जिम्मेदार मानते थे। वे बदला लेना चाहते थे। ऐसे में उन लोगों ने साजिश रची। फूलन देवी को इन लोगों ने अगवा कर लिया। इसके बाद हुए आतंक ने फूलन को दस्यु सुंदरी बना दिया।
फूलन को शक था कि बेहमई गांव के लोग श्रीराम गिरोह को संरक्षण देते हैं। उसकी मुखबिरी भी करते हैं। इसी आक्रोश में 20 निर्दोषों की जान ले ली। डकैत लालाराम और श्रीराम ने विक्रम मल्लाह की हत्या कर फूलन देवी को अगवा किया था।
इसके बाद उसे अपमानित किया गया था। फूलन की उम्र उस समय करीब 18 साल थी। वहां से भागकर फूलन डाकुओं के पास मदद मांगने गई। अपना नया गिरोह बनाया।
इस दौरान फूलन को शक हुआ कि बेहमई गांव के लोग श्रीराम गिरोह के खाने पीने और संरक्षण देने के साथ ही उसके लोगों की मुखबिरी भी करते हैं। बेहमई गांव यमुना किनारे है और डकैतों का आना-जाना रहता था। दो समुदायों के बीच यहीं से खुन्नस हुई और मौत का खेल खेला गया।
कौन हैं बृजलाल?
बता दें बृजलाल 1977 बैच के आईपीएस अधिकारी रहे हैं। मायावती सरकार के दौरान वे यूपी के डीजीपी रहे। 30 सितंबर 2011 से 8 जनवरी 2012 तक वे डीजीपी पद पर कार्यरत थे। मायावती सरकार के दौरान उन्हें दबंग पुलिस अधिकारी के रूप में जाना जाता थे।
वे बसपा प्रमुख मायावती के काफी करीबी माने जाते थे। चंबल के कई अभियानों में वे शामिल रहे थे। हालांकि, 2015 में पुलिस सेवा से रिटायर होने के बाद उन्होंने भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली।
वर्ष 2018 में उन्हें यूपी एससी-एसटी आयोग के अध्यक्ष के पद पर नियुक्त किया गया। अभी वे भारतीय जनता पार्टी से राज्यसभा के सांसद हैं। उन्हें अपने सेवाकाल में कई पुरस्कारों से नवाजा गया।