अमृतसर। तख्तों के सिंह साहिबान द्वारा शिरोमणि अकाली दल के प्रधान सुखबीर सिंह बादल को सजा दी गई है। धार्मिक सजा के तहत आज सुबह 9:10 बजे उन्होंने व्हीलचेयर पर बैठकर सेवादार की पोशाक पहनते हुए हाथ में बरछा थाम कर श्री हरमंदिर साहिब के मुख्य प्रवेश द्वार के बाहर पहरेदारी की सेवा शुरू कर दी है। उनके साथ ही पूर्व अकाली मंत्री एवं पूर्व सांसद सुखदेव सिंह ढींडसा ने भी यही सेवा शुरू कर दी है।
शौचालय साफ करने की भी सजा
सुखबीर बादल एवं सुखदेव सिंह ढींडसा को सुबह एक घंटा 9 से 10 बजे तक यह सेवा करने का आदेश दिया गया है। सुखबीर बादल को शौचालय साफ करने की भी सजा सुनाई गई थी, लेकिन पैर में प्लास्टर लगे होने के कारण उन्हें इससे छूट दे दी गई।
अकाली दल के बागी गुट और शिरोमणि अकाली दल के तत्कालीन सरकार के दौरान अन्य कैबिनेट के सदस्य 12 बजे के बाद शौचालय साफ करेंगे।
इन गलतियों के लिए मिली सजा
राम रहीम के खिलाफ मामला वापस लिया
2007 में सलाबतपुरा में सच्चा सौदा डेरा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम ने दसवें गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंह जी की परंपरा का अनुकरण करते हुए उन्हीं की तरह कपड़ों को पहनकर अमृत छकाने का स्वांग रचा था। उस समय इसके खिलाफ पुलिस केस भी दर्ज किया गया था, लेकिन बाद में अकाली सरकार ने सजा देने की जगह इस मामले को ही वापस ले लिया।
प्रभाव का इस्तेमाल कर दिलवाई थी माफी
श्री अकाल तख्त साहिब ने कार्रवाई करते हुए डेरा मुखी को सिख पंथ से निष्कासित कर दिया था। अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए डेरा मुखी को माफी दिलवा दी थी।
इसके बाद अकाली दल और शिरोमणि कमेटी के नेतृत्व को सिख पंथ के गुस्से और नाराजगी का सामना करना पड़ा। अंत में श्री अकाल तख्त साहिब ने डेरा मुखी को माफी देने का फैसला वापस लिया।
बरगाड़ी मामले में न्याय दिलाने में असफल
1 जून 2015 को कुछ तत्वों ने बुर्ज जवाहर सिंह वाला (फरीदकोट) के गुरुद्वारा साहिब से श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बीड़ चुराई। फिर 12 अक्टूबर 2015 को बरगाड़ी (फरीदकोट) के गुरुद्वारा साहिब से श्री गुरु ग्रंथ साहिब के 110 अंग चुरा लिए व बाहर फेंक दिए।
अकाली दल की सरकार और तत्कालीन गृह मंत्री सुखबीर सिंह बादल ने इस मामले की समय रहते जांच नहीं की। दोषियों को सजा दिलाने में असफल रहे। इससे पंजाब में हालात बिगड़ गए और कोटकपूरा और बहबल कलां में दुखद घटनाएं हुईं।
सुमेध सैनी को पंजाब का डीजीपी बनाना
अकाली दल सरकार ने सुमेध सैनी को पंजाब का डीजीपी नियुक्त किया था। राज्य में फर्जी पुलिस मुठभेड़ों को अंजाम देकर सिख युवाओं की हत्या करने के लिए उन्हें जाना जाता था। पूर्व डीजीपी इजहार आलम, जिन्होंने आलम सेना का गठन किया, उनकी पत्नी को टिकट दिया और उन्हें मुख्य संसदीय सचिव बनाया।
जुलाई में तनखैया घोषित हुए थे सुखबीर
सुखबीर बादल को जुलाई महीने में श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने तनखैया करार देते हुए धार्मिक सजा सुनाई थी।