संभल। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने उप्र के संभल में जामा मस्जिद के सामने निर्माणाधीन पुलिस चौकी को वक्फ की संपत्ति बताया है। उन्होंने एक्स पर पोस्ट कर कहा कि जामा मस्जिद के सामने जिस भूमि पर पुलिस चौकी बनवाई जा रही है, वह वक्फ की जमीन है।
उन्होंने कहा, इसके अलावा प्राचीन स्मारक अधिनियम के तहत संरक्षित स्मारकों के पास निर्माण कार्य प्रतिबंधित है। उन्होंने इसके दस्तावेज भी इंटरनेट मीडिया पर शेयर किए हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को उन्होंने टैग करते हुए लिखा कि संभल में खतरनाक माहौल बनाने के वह दोनों जिम्मेदार हैं।
इस आरोप पर डीएम डॉ. राजेंद्र पैंसिया ने कहा कि अभी तक जितने भी दस्तावेज हैं, उनको लेकर कोई भी प्रभावित और विधिक पक्षकार हमारे पास नहीं आया है। भूमि वक्फ की नहीं है। पुलिस चौकी का निर्माण सरकारी भूमि पर कराया जा रहा है।
दीपा सराय और खग्गू सराय में पुलिस चौकी बनाने को भूमि की तलाश शुरू
इसके अलावा, दीपा सराय और खग्गू सराय में सुरक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए पुलिस चौकी निर्माण की प्रक्रिया जल्द शुरू की जाएगी। ये दोनों क्षेत्र मुस्लिम बहुल हैं और पुलिस प्रशासन की प्राथमिकता में हैं। इन इलाकों में बढ़ते अपराध और सुरक्षा संबंधी जरूरतों को देखते हुए पुलिस ने चौकी निर्माण का प्रस्ताव रखा है। इसके लिए भूमि की तलाश की जा रही है।
चंदौसी में बावड़ी की खोदाई जारी
उधर, चंदौसी में बावड़ी की खोदाई मंगलवार को 11वें दिन भी की गई। इसकी सफाई का काम भी तेजी से चल रहा है। लेबर के साथ ही छोटी पोकलेन मशीन से बावड़ी के अंदर भरी मिट्टी को हटवाया गया।
जब मिट्टी हटाई गई तो बावड़ी की दूसरी मंजिल के दरवाजे नजर आने लगे। सुरक्षा के लिहाज से बावड़ी और बांके बिहारी मंदिर पर पुलिस बल तैनात कर दिया गया है।
रहस्यमयी सुरंग के पास प्राचीन कुआं भी मिला
जिला मुख्यालय बहजोई से करीब सात किमी दूर उत्तर की दिशा में स्थित गांव खेतापुर में एक प्राचीन सुरंग होने की खबर ने क्षेत्र में नई जिज्ञासा उत्पन्न कर दी है।
स्थानीय ग्रामीणों का मानना है कि यह सुरंग ऐतिहासिक योद्धाओं आल्हा और ऊदल से जुड़ी है, जो प्राचीन काल के बाद भारतीय लोकगाथाओं में प्रमुख स्थान रखते हैं।
दावा है कि इस सुरंग का संबंध संभल से दिल्ली तक फैला हो सकता है। चूहरखेड़ा मढ़ी क्षेत्र में स्थित इस सुरंग के बारे में कहा जाता है कि आल्हा-ऊदल ने यहां पड़ाव डाला था और ऊदल की मृत्यु भी यहीं हुई थी।
मंगलवार को जब इस जमीन की नपत कराई गई तो झाड़ियों में एक पुराना कुआं भी नजर आ गया। सुरंग व कुआं की प्राचीनता जानने के लिए एएसआइ की टीम भी यहां आ सकती है।