महाकुंभ नगर। प्रयागराज महाकुंभ के अंतिम स्नान पर्व महाशिवरात्रि (26 फरवरी) पर संगम में पुण्य की डुबकी लगाने के लिए देश-विदेश से श्रद्धालु जुटने लगे हैं।
इस बार विशेष आकर्षण का केंद्र ब्राजील से आए भगवान शिव के भक्तों का एक बड़ा जत्था है। जिसने महाकुंभ में अपनी अनूठी भक्ति से श्रद्धालुओं का ध्यान आकर्षित किया है।
दो दर्जन से अधिक ब्राजीली युवाओं का यह समूह विशेष रूप से महाशिवरात्रि स्नान के लिए यहां आया है। यह भक्त रियो डी जनेरियो और साओ पाउलो शहरों से जुड़े हैं, जहां भगवान शिव के कई मंदिर स्थित हैं।
सालों से शिवभक्ति में लीन हैं ब्राजील के ये युवा
ग्रुप के समन्वयक हेनरिक मोर ने बताया कि ये सभी युवा वर्षों से शिवभक्ति में लीन हैं और इस बार महाकुंभ में त्रिवेणी स्नान का संकल्प लेकर आए हैं। महाकुंभ की इस आध्यात्मिक यात्रा में विदेशी श्रद्धालुओं की सहभागिता भारतीय संस्कृति के वैश्विक प्रभाव को दर्शाती है, जिससे सनातन धर्म की व्यापकता और गहराई का पता चलता है।
हाथों में ओम और रुद्राक्ष की माला धारण किए हैं शिव भक्त
ब्राजील के इन श्रद्धालुओं की भक्ति और समर्पण देखते ही बनती है। इनके शरीर पर भगवान शिव से जुड़े विभिन्न प्रतीकों के टैटू गुदे हुए हैं, जिनमें त्रिशूल, डमरू और महाकाल की आकृतियां प्रमुख हैं।
पुरुषों के कानों में त्रिशूल के आकार की कुंडलियां और महिलाओं के हाथों में ओम व रुद्राक्ष की माला इनकी भक्ति को और विशेष बना रही हैं।
शरीर पर गुदवाया है धार्मिक टैटू
ग्रुप की सदस्य इसाबेला ने बताया कि ब्राजील में कयापो समुदाय के लोग शरीर पर धार्मिक प्रतीक का टैटू गुदवाने की परंपरा को मानते हैं, जिससे प्रेरित होकर उन्होंने शिवभक्ति का यह अनूठा स्वरूप अपनाया है।
दल के सदस्य बताते हैं कि वह हर वर्ष महाशिवरात्रि के अवसर पर वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन और गंगा स्नान के लिए आते थे, लेकिन इस बार प्रयागराज में महाकुंभ के दिव्य आयोजन की ख्याति सुनकर यहां पहुंचे हैं।
जीवन में नई ऊर्जा का संचार
उनका कहना है कि इस अलौकिक अनुभव ने उनके जीवन में नई ऊर्जा का संचार किया है। हेनरिक मोर कहते हैं कि यह महाकुंभ न केवल एक धार्मिक आयोजन है, बल्कि जीवन को आध्यात्मिक रूप से समृद्ध करने का एक अनमोल अवसर भी है।
संगम स्नान से मन को मिल रही शांति
ब्राजीली श्रद्धालु अब महाशिवरात्रि के पावन स्नान के लिए व्यग्रता से प्रतीक्षा कर रहे हैं। उनका मानना है कि संगम में स्नान करने से उन्हें आत्मिक शांति और मोक्ष की प्राप्ति होगी।